चीन को सबक सिखाने के लिए भारत के साथ आया अमेरिका, कई देशों ने चीन की हरकतों को बताया गलत

नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। लद्दाख और सिक्किम से लगी चीन की सीमा पर चीन के अतिक्रमण की साजिश से सीमा पर तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है। अमेरिका ने कहा है कि चीन के उकसावे और परेशान करने वाले रवैये के खिलाफ अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और आसियान सदस्य एक साथ आ गए हैं। अमेरिकी राजनयिक वेल्स ने कहा कि हम चाहते हैं कि एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था हो जिससे सभी को फायदा हो, ना कि ऐसी वैश्विक व्यवस्था जहां सिर्फ चीन का बोलबाला हो। इस तरह के सीमा विवाद चीन के खतरे के प्रति आगाह करते हैं। उन्होंने कहा कि चीन की गतिविधियों ने एक तरह की सोच रखने वाले देशों को एकजुट कर दिया है। चाहे वह आसियान देश हों या कूटनीतिक संगठन। अमेरिका, जापान, भारत की तिकड़ी है और ऑस्ट्रेलिया भी हमारे साथ है। पूरी दुनिया में चीन को लेकर बातचीत शुरू हो गई है।

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अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर चर्चा में अमेरिकी राजनयिक वेल्स ने कहा कि यह फैसला नई दिल्ली को करना है कि वह तालिबान के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में आना चाहता है या नहीं। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि काबुल की नई सरकार में तालिबान शामिल होने जा रहा है, ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि अफगानिस्तान की भावी सरकार के साथ उसके अच्छे संबंध हों। भारत-चीन के मौजूदा तनाव के सवाल पर वेल्स ने कहा, “सीमा पर तनाव की घटनाएं इस बात को याद दिलाते हैं कि चीनी अतिक्रमण का खतरा असली है। चाहे वह दक्षिण चीन सागर हो या भारतीय सीमा, हम लगातार चीन की तरफ से उकसावे और तनाव बढ़ाने वाली हरकतें देखते हैं। चीन के इस रुख से भी यह भी सवाल पैदा होता है कि चीन किस तरह से अपनी बढ़ती ताकत का इस्तेमाल करना चाह रहा है।”

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वेल्स ने कहा, अफगानिस्तान में भारत की बेहद अहम भूमिका है। कोरोना महामारी के बावजूद पिछले सप्ताह अमेरिकी राजदूत जालमेई खालिजाद ने भारतीय नेतृत्व से बातचीत के लिए नई दिल्ली का दौरा किया। खालिजाद ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत को तालिबान के साथ बातचीत करनी चाहिए। वेल्स ने कहा, इस पर कोई भी फैसला भारत ही लेगा। हालांकि, हमारा मानना है कि स्वस्थ अफगानिस्तान के लिए उसके साथ भारत के अच्छे संबंध होना जरूरी है।

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