नई दिल्ली। अमेरिका की बड़ी कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने 27 मई को वाशिंगटन में यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) और यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) के तत्वावधान में विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बारे में गंभीरता से बातचीत की. उनके अधिकांश सवाल और चिंताएं वैश्विक आर्थिक सुधार में भारत की भूमिका पर केंद्रित थीं.
पक्षपातपूर्ण विचारों से मुक्त और वास्तविक जमीनी स्थिति के बारे में जानते हुए जानकारों ने दूसरी लहर के बाद आर्थिक दृष्टिकोण का आकलन किया. अधिकांश जानकार विदेश मंत्री के इस विचार से सहमत थे कि चूंकि लॉकडाउन स्थानीय और रुक-रुककर लगाया जा रहा और राहत आपूर्ति बरकरार थी, इसलिए इसका प्रभाव पिछले साल की तुलना में बहुत कम होगा. राजनयिकों के मुताबिक, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने की जरूरत है. भारत सरकार के प्रयासों में उन्होंने गहरी दिलचस्पी दिखाई.
बैठक में भाग लेने वालों में एरियल मैक्टविश, अध्यक्ष, मेडट्रॉनिक रेस्पिरेटरी इंक, केन गिलमार्टिन, कार्यकारी उपाध्यक्ष जैकब्स इंजीनियरिंग समूह, अरविंद कृष्णा, अध्यक्ष और सीईओ, आईबीएम, राज सुब्रमण्यम, अध्यक्ष, फेडेक्स, जूली स्वीट, सीईओ एक्सेंचर, और सेफी घासेमी, अध्यक्ष और सीईओ, एयर प्रोडक्ट्स शामिल थे. इस दौरान सभी ने कोरोना महामारी के बाद आर्थिक सुधर को लेकर बातचीत की. अमेरिकी सीईओ ने पिछले साल इसी तरह के अमेरिकी अनुभवों के बारे में बात की थी. कई लोगों ने भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से ऑक्सीजन आपूर्ति पर किए गए प्रयासों की तारीफ की. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनियाभर में वैश्विक वैक्सीन हब के रूप में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका थी. लोगों का यह भी मानना था कि जैसे-जैसे वैक्सीन अभियान में तेजी आएगी, दो व्यापारिक समुदायों के बीच संपर्क पूरी तरह से बहाल हो जाएगा.