अफगानिस्तान में अमेरिका के 20 साल, जानें- इसके लिए जान और माल की कितनी बड़ी कीमत चुकाई

अफगानिस्तान में अमेरिका के 20 साल, जानें- इसके लिए जान और माल की कितनी बड़ी कीमत चुकाई

अमेरिका ने 20 साल पहले अफगानिस्तान को तालिबान के चंगुल से आजाद करने के लिए हमला किया था. लेकिन 20 साल बाद अफगानिस्तान को तालिबान के हाथों में सौंपकर अमेरिका चला गया है. और अमेरिका के उस आखिरी हवाई जहाज की तस्वीर को अपने फोन में तालिबानी आतंकी कैद करते रहे.

वैसे तो अमेरिका ने ही अफगानिस्तान छोड़ने के लिए आज की तारीख यानी 31 अगस्त तय की थी. लेकिन इससे एक दिन पहले ही अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ दिया. काबुल एयरपोर्ट से अमेरिका का आखिरी सी-17 कार्गो एयरक्राफ्ट उड़ा और अफगानिस्तान पर अमेरिका का 20 साल का कब्जा खत्म हो गया.

जैसे ही अमेरिका अफगानिस्तान से गया, काबुल की सड़कों पर तुरंत जश्न शुरू हो गया. तालिबान का लड़ाके सड़कों पर उतर आए और ताबड़तोड़ फायरिंग की गई. तालिबान के लड़ाकों ने पूरी रात ऐसे ही जश्न मनाया और सुबह होते ही तालिबान काबुल एयरपोर्ट के अंदर पहुंच गया. 20 साल में पहली बार तालिबान काबुल एयरपोर्ट के अंदर दाखिल हुए.

अफगानिस्तान में अमेरिका ने अपने इतिहास का सबसे लंबा युद्ध लड़ा. इस युद्ध की अमेरिका को बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी. यह सच है कि अफगानिस्तान में अमेरिका ने तालिबान पर लगाम लगा दी थी लेकिन इसके लिए उसे भारी मात्रा में जान और माल का नुकसान सहना पड़ा.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कैनेडी स्कूल के लिंडा बिलम्स और ब्राउन यूनिवर्सिटी कॉस्ट ऑफ वॉर प्रोजेक्ट हवाले से अमेरिका के अफगानिस्तान में हुए खर्च और नुकसान की लिस्ट छापी है. आइए आपको बताते हैं कि यह 20 साल अमेरिका को कितने महंगे पड़े हैं.

अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपने इतिहास का सबसे लंबा युद्ध लड़ा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका की आज पूरी आबादी में हर चौथा शख्स 2001 में अलकायदा आतंकियों के हमले के बाद पैदा हुआ है. यह सभी आतंकी अफगानिस्तान में ही पनाह लिए हुए थे.

अफगानिस्तान में अमेरिका के 2,461 सैनिक और अन्य सेवाओं के सदस्य मारे गए. इसके अलावा अप्रैल तक 3,846 अमेरिकी ठेकेदार भी अफगानिस्तान में मारे गए. इस युद्ध के दौरान अफगान नेशनल मिलिट्री और पुलिस के 66,000 जवान भी मारे गए. इसके अलावा अन्य सेवाओं की बात करें इनके 1444 लोग मारे गए. इनमें नाटो सेना के सैनिक भी शामिल हैं.

इस युद्ध के दौरान तालिबान को भी बड़ी संख्या में नुकसान हुआ. तालिबान के करीब 51,191 आतंकी मारे गए. तालिबान और अमेरिका की जंग की कीमत आम अफगानी को भी चुकानी पड़ी. बीस सालों के दौरान 47,245 आम नागरिक भी मारे गए. इसके साथ ही 444 राहतकर्मी और 72 पत्रकार भी मारे गए

राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने कोरियाई युद्ध के लिए भुगतान टैक्स में 92% की बढ़ोतरी कर दी थी. वहीं राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने वियतनाम युद्ध के दौरान टैक्स दरें 77% तक बढ़ा दी थीं. अफगानिस्तान युद्ध के दौरान राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अफगानिस्तान और इराक युद्धों की शुरुआत में सबसे धनी लोगों के लिए कर दरों में कम से कम 8% कटौती की.

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