केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ बैठक की। इस बैठक में राज्य में नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा की गई। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था सीधे तौर पर केंद्र सरकार के नियंत्रण में है। 2019 में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित किया गया था।
बैठक में क्या हुआ?
बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, डीजीपी नलिन प्रभात और चीफ सेक्रेटरी अटल डुल्लू शामिल हुए। बैठक के बाद सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में काफी हद तक सफलता मिली है, लेकिन कुछ कमियां भी हैं, जिन्हें दूर किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर का नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में काफी हद तक रोल ठीक रहा है। जहां कमी रही है, उस पर बात हुई, उसे भी दुरुस्त किया जाएगा। लोगों को नए कानूनों की पूरी जानकारी हो, इसके लिए भी पहल की जाएगी।”
नए क्रिमिनल कानून क्या हैं?
पिछले साल 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BEA) लागू हुए हैं। ये नए कानून औपनिवेशिक काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह ले चुके हैं। इनका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक आधुनिक और प्रभावी बनाना है।
जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था की स्थिति
जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास है। इसलिए, नए कानूनों के क्रियान्वयन में केंद्र और राज्य प्रशासन की भूमिका अहम है। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि लोगों को नए कानूनों की पूरी जानकारी मिले और उन्हें सही तरीके से लागू किया जाए।
सुरक्षा से जुड़े मुद्दे
सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहले की दो बैठकें सुरक्षा से संबंधित थीं, और उनमें जनता द्वारा चुनी गई सरकार को शामिल नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, “अगर सुरक्षा से संबंधित बैठकों में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को शामिल न करने का फैसला लिया जाता है, तो ठीक है।”
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सीएम का बयान
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष (राहुल गांधी) के तौर पर उन्हें असहमति जताने का हक है। उन्होंने कहा, “ये कहां कहा गया है कि जो सरकार करती है, विपक्ष उससे सहमत हो? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, और फैसला आ जाएगा। इसमें मैं क्या कह सकता हूं? मैं तो एक राज्य का मुख्यमंत्री हूं, ये केंद्र का मामला है।”
अन्य राज्यों में नए कानूनों की समीक्षा
गृह मंत्री अमित शाह पहले ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों में नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की समीक्षा कर चुके हैं। यह समीक्षा इसलिए की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नए कानून पूरे देश में सही तरीके से लागू हों।