मोदी सरकार का कश्मीर पर एक और बड़ा फैसला, जानें पूरा मामला..

लोकसभा में जम्मू कश्मीर से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों- जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक – 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक- 2023 पर चर्चा मंगलवार को शुरू हुई थी. चर्चा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दे सकते हैं और इसके बाद वह सदन में दोनों विधेयकों को पारित करने का प्रस्ताव पेश करेंगे.

मंगलवार को हुई चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद सौगत रॉय पर वो भड़क भी गए थे. उन्होंने कहा था कि यह समझ के बाहर है कि जिम्मेदार लोग भी इस संवेदनशील विषय पर गंभीरता के साथ अपनी बात क्यों नहीं रखते हैं. राजनीतिक शख्सियतों को सियासत करने से कौन रोक रहा है. लेकिन यह तो देखना ही चाहिए कि किस विषय पर किस तरह से बात रखनी चाहिए

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023, जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के लिए लाया गया है. यह अधिनियम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण देने की सुविधा देता है. इस संशोधन बिल में पहली कश्मीर प्रवासियों और पीओके से विस्थापित लोगों के लिए सीट रिजर्वेशन का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही वंचित और ओबीसी वर्ग के लिए रिजर्वेशन की व्यवस्था की गई है.

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन बिल इसलिए खास है क्योंकि पांच अगस्त को संसद ने आर्टिकल 370 को खत्म कर जम्मू -कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया. इस संशोधन बिल से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों के बढ़ाने की व्यवस्था है. अगर यह कानून की शक्ल में आया तो विधानसभा में कुल 114 सीटें हो जाएंगी. 5 अगस्त 2019 के पहले कुल 111 विधानसभा की सीटें थीं इसी में 24 सीटें पीओके की भी हैं. लेकिन वहां चुनाव नहीं होता है. इस तरह से 87 सीटों पर चुनाव होता रहा है. अब लद्दाख के अलग होने के बाद 83 सीटें बची हुई हैं.

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