वाराणसी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah said in Varanasi) ने कहा कि हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के मध्य कोई अंतर्विरोध नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं गुजराती से अधिक हिंदी भाषा का उपयोग करता हूं। हमें अपनी राजभाषा को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
वाराणसी के हस्तकला संकुल में शनिवार को अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को गृहमंत्री श्री शाह संबोधित कर रहे थे। कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत में देश के सभी लोगों से आह्वान करना चाहता हूं कि स्वभाषा के लिए हमारा एक लक्ष्य जो छूट गया था, हम उसका स्मरण करें और उसे अपने जीवन का अंग बनाएं। कहा कि यह संकल्प होना चाहिए कि हिंदी का वैश्विक स्वरूप हो। मैं भी हिंदी भाषी नहीं हूं, मेरी मातृभाषा गुजराती है। मुझे गुजराती बोलने में कोई परहेज नहीं है। परन्तु , मैं गुजराती से ज्यादा हिंदी प्रयोग करता हूं। राजभाषा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह स्थानीय भाषा का भी विकास करें। काशी हमेशा विद्या की राजधानी है। काशी सांस्कृतिक नगरी है। देश के इतिहास को काशी से अलग कर नहीं देख सकते। काशी भाषाओं का गोमुख है। हिंदी का जन्म काशी में हुआ है।
श्री शाह ने कहा कि पूर्व में हिंदी भाषा के लिए बहुत सारे विवाद खड़े करने की कोशिश की गयी थी परन्तु वो समय अब ख़त्म हो गया है। PM मोदी ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को विश्व भर में प्रतिस्थापित करने का कार्य किया है। कहा कि जो देश अपनी भाषा खो देता है, वो देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो विश्व को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं। दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं भारत में हैं। उन्हें हमें आगे बढ़ाना है।
CM योगी ने क्या कहा ?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के पश्चात पहला सम्मेलन यहां हो रहा है। ईश्वर से अभिव्यक्ति का माध्यम भाषा हमारी मातृभाषा होती है। हिंदी का प्रथम सम्मेलन राजधानी के बाहर होने में 75 साल हो गए। तुलसीदास ने रामचरितमानस को रचा जो शिव की प्रेरणा से अवधी भाषा में लिखा गया। आज हर घर में रामचरित मानस रखा मिलेगा। मॉरीशस के गांव में गए तो देखा कि उनके घरों में रामचरित मानस उपस्थित है। वे आज भी उसकी पूजा करते हैं।