भारत के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़े बयान पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भड़क गई है। शाह ने झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात कही थी, जिसके बाद बांग्लादेश ने भारत सरकार से आपत्तिजनक टिप्पणियों से बचने की सलाह दी है।
बांग्लादेश का विरोध पत्र
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को ढाका में भारतीय उच्चायोग को एक विरोध पत्र सौंपा है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के बयान दो पड़ोसी देशों के बीच आपसी सम्मान और समझ को कमजोर करते हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रवक्ता मुहम्मद यूनुस ने कहा कि इस प्रकार की बातें मित्रता को प्रभावित करती हैं।
अमित शाह का बयान
अमित शाह ने बोकारो में कहा कि “झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए कोई जगह नहीं है। वे हमारी बेटियों से शादी कर रहे हैं और जमीन हड़प रहे हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इसे रोका नहीं गया, तो अगले 25-30 वर्षों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बढ़ जाएगी।
राजनीतिक आरोप
शाह ने झामुमो और हेमंत सोरेन पर आरोप लगाया कि वे वोट बैंक की राजनीति के लिए घुसपैठियों को शरण दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि संथाल परगना में आदिवासी आबादी 44% से घटकर 28% हो गई है। उनका कहना था कि अगर सत्ता में उन्हें मौका दिया गया, तो वे सभी घुसपैठियों को बाहर कर देंगे।
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा
भारत के साथ बांग्लादेश की सीमा कई राज्यों से लगी हुई है, जिससे घुसपैठ एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। वर्ष 2016 में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया था कि भारत में करीब 2 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए रह रहे हैं। इस संख्या को लेकर अक्सर विवाद उठता रहता है।