महाकुंभ में आस्था की डुबकी: अमित शाह संगम में करेंगे स्नान, अखिलेश यादव ने कल किया था गंगा स्नान

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस समय 2025 का महाकुंभ मेला चल रहा है। यह मेला अपने आप में खास है क्योंकि यह 144 साल में एक बार लगता है। इस बार महाकुंभ में देशभर से लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए पहुंचे हैं। महाकुंभ के इस मौके पर भारतीय राजनीति के बड़े नाम भी पहुंचे। रविवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने गंगा स्नान किया और आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह महाकुंभ में डुबकी लगाने संगम पहुंचेंगे।

अखिलेश यादव ने किया था गंगा स्नान

रविवार यानी 25 जनवरी को अखिलेश यादव अपने परिवार के साथ महाकुंभ पहुंचे थे। उनके साथ उनके बेटे अर्जुन यादव भी थे। अखिलेश ने संगम में गंगा के पवित्र पानी में 11 डुबकियां लगाईं और इसके बाद मीडिया से बात करते हुए महाकुंभ के इंतजामों पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि कुंभ के आयोजन में सरकार को कुछ और बेहतर इंतजाम करने चाहिए थे। खासकर बुजुर्गों और महिलाओं के लिए पैदल चलने में कुछ परेशानी हो रही थी। अखिलेश ने कहा कि सरकार को महाकुंभ में आए बुजुर्गों के लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए थी, ताकि उन्हें ज्यादा पैदल न चलना पड़े।

इसके अलावा, अखिलेश ने यह भी कहा कि गंगा नदी की सफाई पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी भी कई नाले गंगा नदी में गिरते हैं, जो नदी की शुद्धता को नुकसान पहुंचाते हैं।

अमित शाह का महाकुंभ में स्नान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए संगम पहुंचेंगे। हाल ही में गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने महाकुंभ के महत्व पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि महाकुंभ का आयोजन 144 साल में एक बार होता है, और यह एक ऐसा अवसर है, जिसे हर भारतीय को जरूर देखना चाहिए।

अमित शाह ने अपने जीवन में 9 बार कुंभ मेले का हिस्सा बनने का अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, “कुंभ में जो एकता और सद्भाव का संदेश दिया जाता है, वह दुनिया के किसी भी आयोजन से अधिक ताकतवर होता है। यहां किसी भी व्यक्ति से यह नहीं पूछा जाता कि वह किस धर्म, जाति या समुदाय से है। हर किसी को यहां समान अधिकार और सम्मान मिलता है।”

अमित शाह ने यह भी बताया कि महाकुंभ में आने के लिए किसी निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है। यह मेला हर साल बिना किसी भेदभाव के लाखों लोगों को एक साथ लाता है। शाह ने इस आयोजन को ‘समाज में समानता और भाईचारे का प्रतीक’ बताया।

महाकुंभ: एकता और समरसता का संदेश

महाकुंभ सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी देता है। यहां लाखों लोग एक साथ एकत्र होते हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान के कारण अलग नहीं महसूस करता। कुंभ मेले में हर किसी को बिना किसी भेदभाव के एक समान सम्मान मिलता है। यही वजह है कि यह आयोजन सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में चर्चा का विषय बनता है।

अमित शाह ने कहा कि महाकुंभ का आयोजन दुनिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली समरसता और भाईचारे के संदेशों में से एक है। यहां लोग अपनी आस्थाओं के साथ शामिल होते हैं और यह साबित करते हैं कि हम सभी एक हैं, चाहे हमारा धर्म, जाति या पंथ कोई भी हो।

लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं महाकुंभ में

इस महाकुंभ में अब तक लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए संगम पहुंच चुके हैं। 144 साल में एक बार लगने वाला यह महाकुंभ एक ऐतिहासिक अवसर है। हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में संगम पहुंचे हैं। महाकुंभ के आयोजन के दौरान कुछ जगहों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम अच्छे हैं, ताकि किसी भी प्रकार की कोई असुविधा न हो।

महाकुंभ का धार्मिक और राजनीतिक महत्व

महाकुंभ मेला न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह बहुत मायने रखता है। इस दौरान नेता और राजनीतिक दल अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। अमित शाह और अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता महाकुंभ में हिस्सा लेकर अपने राजनीतिक संदेश भी देते हैं।

साथ ही, यह आयोजन प्रदेश और देश के लोगों को एकजुट करने का भी बड़ा मंच बनता है। चाहे बीजेपी हो या समाजवादी पार्टी, दोनों ही दलों के नेता इस महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाकर समाज में एकता का संदेश देने की कोशिश करते हैं।

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