राजसत्ता एक्सप्रेस। अब दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट पर भी आपको इंटरनेट की बेस्ट कनेक्टिविटी मिलेगी। 5G नेटवर्क अब माउंट एवरेस्ट तक पहुंच गया है और अब यहां आपको 1.7Gbps तक की इंटरनेट स्पीड मिल सकेगी। अब सवाल ये हैं कि ये खुशी की बात है या नहीं। ये सवाल इसलिए, क्योंकि एवरेस्ट पर 5जी नेटवर्क की स्थापना से विशेषज्ञ चिंतित हैं। अब इनकी चिंता की वजह भी जान लीजिए।
माउंट एवरेस्ट पर 5जी नेटवर्क
दरअसल, बीते दिनों चीनी मोबाइल ऑपरेटर China Mobile और Huawei ने मिलकर एवरेस्ट पर 5जी टावर को स्थापित की। इसपर नेहरू विश्वविद्यालय में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली का कहना है कि इसमें कोई नई बात नहीं है कि चीन तिब्बत और एवरेस्ट पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। कोंडापल्ली इस कदम को विवादास्पद बताते हैं। उनका कहना है कि चीन के इस कदम से पूरा हिमालय उसकी जद में आ सकता है। उन्होंने इसके सैन्य पहलू का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस टावर को समुद्र की सतह से 8,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है। इससे चीन न सिर्फ भारत बल्कि बांग्लादेश और म्यांमार पर नजर रख सकता है। वह हिमालय क्षेत्र में आने वाले दिनों में अपनी तकनीक का फायदा भी उठा सकता है।
ड्रैगन की चाल
कहते हैं ड्रैगन की हर चाल के पीछे बहुत बड़ी रणनीति होती है। कोंडापल्ली के शक को हवा देने का काम चीन के सरकारी टीवी चैनल ने भी किया है। चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क (सीजीटीएन) की आधिकारिक वेबसाइट ने माउंट माउंट एवरेस्ट की कुछ तस्वीरें पब्लिश की। अब आप सोच रहे होंगे, इससे क्या। तो आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि इन तस्वीरों से कहीं न कहीं ये स्पष्ट होता है कि ड्रैगन की निगाह एवरेस्ट पर है और अब वो पूरा एवरेस्ट निगलना चाहता है। पहले आप ये तस्वीर देखिए…
China claiming, Everst belongs to them. It was and is an integral part of Nepal. #BackOffChina pic.twitter.com/dCAfjSZXWp
— Global Issues (@GlobalIssues5) May 10, 2020
सीजीटीएन ने इन तस्वीरों को पब्लिश करने के साथ ही एक ट्वीट भी लिखा। जिसमें कहा कि शुक्रवार को माउंट चोमोलुंगमा पर सूर्य की रोशनी का शानदार नजारा। इसे माउंट एवरेस्ट भी कहा जाता है। दुनिया की ये सबसे ऊंची चोटी चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है।
नेपाल और भारत के लोगों का फूटा गुस्सा
चीन के इतना कहने के बाद सोशल मीडिया पर नेपाल और भारत के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। #BackOffChina ट्रेंड करने लगा। ट्वीटर पर एक यूजर लिखता है, ‘ये हमारा माउंट एवरेस्ट है। इसे हम आपको अपना बताने नहीं देंगे। इसपर नेपाल सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए। इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं।’ एक यूजर लिखा है कि अगर माउंट एवरेस्ट चीन में आता है, तो भी बीजिंग नेपाल में आता है।
#backoffchina if Mt.Everest is in China then Beijing belongs to Nepal
— sanjay kumar yadav (@sanjayyadav2109) May 10, 2020
एक अन्य यूजर लिखता है कि एवरेस्ट हमारा है और ये हमेशा नेपालियों का गर्व रहेगा।
दो हिस्सों में बंटा है एवरेस्ट
अब आखिर सच्चाई क्या है किसके हिस्से में है एवरेस्ट। हम तो यहीं जानते और पढ़ते आए हैं कि माउंट एवरेस्ट नेपाल में हैं, तो फिर चीन इसे अपने हिस्सा क्यों बता रहा है। इसपर विशेषज्ञों का कहना है कि 1960 में सीमा विवाद के समाधान के लिए चीन और नेपाल ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अनुसार, माउंट एवरेस्ट को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। इसका दक्षिणी हिस्सा नेपाल के पास रहेगा , जबकि दूसरा उत्तरी हिस्सा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के पास रहेगा। अब तिब्बत पर चीन का कब्जा हो रखा है।
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इसपर चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली कहते हैं कि एवरेस्ट तिब्बत की ओर बेहद दुर्गम है, जबकि चीन की ओर से इसका बेहद कम इस्तेमाल होता है। चीन की ओर से पर्वतारोही इसपर चढ़ाई भी नहीं करते हैं। क्योंकि उस तरफ से एवरेस्ट की खड़ी चढ़ाई है और वीजा मिलना भी बड़ी समस्या है। यानी की एवरेस्ट पर ज्यादातर गतिविधियां नेपाल की तरफ से होती हैं। अब चीन यहां चलाकी दिखा रहा है और तकनीक की मदद से तिब्बत की तरफ स्थित एवरेस्ट के हिस्से का विकास कर रहा है। सरकारी टीवी चैनल द्वारा जारी तस्वीरें उसके मंसूबों को साफ बयां भी कर रही हैं।
नेपाल और चीन के बिगड़ सकते हैं संबंध
अब चीन के इस कदम से नेपाल और उसके बीच के संबंध बिगड़ सकते हैं। चीन की इस हरकत के बाद नेपाल की तरफ से आवाज भी उठने लगी हैं। इसको लेकर नेपाल के एडिटर और पब्लिशर कनक मणि दीक्षित ने ट्वीट करते हुए चीन को निशाने पर लिया है। उन्होंने लिखा, ‘ नेपाल और तिब्बत चीन के बीच चोमोलुंगमा-सागरमाथा-एवरेस्ट आधा-आधा बंटा हुआ है। आप चोमोलुंगमा एवरेस्ट को तिब्बत की तरफ का हिस्सा कहकर खुद को सही कर सकते हैं।’ बता दें कि एवरेस्ट को नेपाल में सागरमाथा, जबकि तिब्बत में चोमोलुंगमा कहते हैं। गौरतलब है कि एवरेस्ट पर 5जी नेटवर्क की गणित काफी सोची-समझी रणनीति है। आप ये भी कह सकते हैं कि ये केवल पर्वारोहियों के अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी देने तक सीमित नहीं है।
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