गरीबों को कैंसर की सस्ती दवा दिलाने के लिए याद किए जाएंगे अनंत कुमार

केंद्रीय मंत्री रहे अनंत कुमार की जिंदगी का एक पन्ना ऐसा भी था, जिसे याद कर उनकी आंखों में सिर्फ आंसू ही होते थे. दरअसल, जब अनंत कुमार के पिता को पता चला कि उनकी पत्नी को कैंसर है तो डॉक्टर ने हर रोज दवाई की दो गोली खाने को कहा, लेकिन दवाई महंगी होने और घर की जिम्मेदारियों का खयाल रखने के चलते वो अपनी पत्नी को एक ही गोली खिला पाते थे. ऐसे में जब भी अनंत कुमार को ये बात याद आती तो उनकी आंखें नम हो जाती थी.

वहीं जब एक बार अनंत कुमार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के बारे में बता रहे थे तो उस समय वहां जर्नलिस्ट अर्चिस मोहन भी वहां मौजूद थे. अर्चिस बताते हैं कि अनंत कुमार ने कहा था कि मैंने महंगी दवाईयों के कारण मां को दर्द में देखा है. उस दर्द ने मुझे जन औषधि योजना का तेजी से विस्तार करने के लिए प्रेरित किया है. 2011 में ये स्कीम यूपीए सरकार ने शुरू की थी, जिसमें मार्केट रेट से कम कीमत पर जेनेरिक दवाई बेची जाती है. अनंत कुमार ने कहा कि मैंने इसके विस्तार को मिशन के तौर पर लिया.

अनंत कुमार ने देखा मां का दर्द

अनंत कुमार ने अपनी मां का दर्द देखा. उन्होंने कहा कि ‘मैंने मां का दर्द देखा है और इसलिए स्सती दवाइयों को सब तक पहुंचाने के काम को मिशन के तौर पर लिया.’ उन्होंने बताया था कि पूरे देश में अब 3177 जन औषधि केंद्र हैं, जिनमें 600 जेनेरिक मेडिसन और 150 सप्लिमेंट मिलते हैं.

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