अन्ना रिटर्नस: अन्ना हजारे रालेगण सिद्धि में शुरू करेंगे आंदोलन ,जानें क्यों है लोकपाल जरूरी
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एक बार फिर आंदोलन करने का ऐलान किया है. आपको बता दें कि अन्ना हजारे आज 30 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं. दरअसल अन्ना हजारे का कहना है कि कांग्रेस के बाद बीजेपी सरकार ने भी उन्हें सिर्फ आश्वासन ही दिया. अन्ना ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि लोकपाल कानून बने 5 साल हो गए और नरेंद्र मोदी सरकार पांच साल से बहानेबाजी करती आ रही है. उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार के दिल में अगर होता तो क्या इसमें 5 साल लगना जरूरी था?’
किसी व्यक्ति या पार्टी के खिलाफ नहीं हूं
अन्ना ने कहा कि, ‘ये मेरा अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष और पार्टी के खिलाफ में नहीं है. समाज और देश की भलाई के लिए बार-बार मैं आंदोलन करता आया हूं, उसी प्रकार का ये आंदोलन है.’ बता दें कि 2011-12 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान पर तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था.
यह भी खास बात है कि उस आंदोलन में शामिल रहे कई चेहरे अब सियासत में आ चुके हैं. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बन चुके हैं, किरण बेदी पुडुचेरी की राज्यपाल नियुक्त हो चुकी हैं. वहीं, अन्ना एक बार फिर अनशन पर बैठने जा रहे हैं. इस बार आंदोलन का स्थान दिल्ली न होकर अन्ना का अपना गांव रालेगण सिद्धि ही है.
क्यों है लोकपाल बिल जरूरी?
पारित विधेयक के मुताबिक लोकपाल के पास चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री तक किसी भी जनसेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की सुनवाई का अधिकार है. भले ही वह मंत्री हो, सरकारी अफसर, पंचायत सदस्य इत्यादि किसी भी पद पर तैनात हो. लोकपाल जांच के बाद इन सभी की संपत्ति को कुर्क भी कर सकता है. विशेष परिस्थितियों में लोकपाल को किसी आदमी के खिलाफ अदालती सुनवाई करने और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी अधिकार है. हालांकि भारतीय सेना लोकपाल के दायरे से बाहर है. लोकपाल बिल को 13 दिसंबर, 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया था. चार दिन बाद 17 दिसंबर 2013 को यह विधेयक राज्यसभा से पास हो गया था. अगले दिन, 18 दिसंबर 2013 को ये विधेयक लोकसभा से भी पारित हो गया था.