भारतीय नौसेना के लिए 6 पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी

नई दिल्ली: हिंद महासागर में चीन से मिल रही चुनौतियों के बीच आज रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए छह नई स्टेल्थ-पनडुब्बियों के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद की बैठक में स्ट्रेटेजिक-पार्टनरशिप मॉडल के तहत प्रोजेक्ट-75 इंडिया (पी-75आई) को हरी झंडी मिल गई है.

जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में डिफेंस एक्युजेशन कॉउंसिल (डीएसी) की महत्वपूर्ण बैठक हुई. बैठक मे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, तीनों सेना प्रमुख, रक्षा सचिव और रक्षा सचिव (प्रोडेक्शन) ने हिस्सा लिया. बैठक में नौसेना के लिए पी-75 आई प्रोजेक्ट के लिए रिक्यूसेट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी करने का निर्णय लिया गया.

क्योंकि इस प्रोजेक्ट को स्टेट्रिजक-पार्टनरशिप मॉडल के तहत पूरा किया जाएगा, ऐसे में रक्षा मंत्रालय स्वदेशी शिपयार्ड को ये आरएफपी जारी करेगी. ये स्वेदशी शिपयार्ड किसी विदेशी कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर में ही इन छह कन्वेंशनल यानि डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का देश में ही निर्माण करेंगी. जानकारी के मुताबिक, ये छह कंवेनशनल पनडुब्बियां जरूर है लेकिन ये एआईपी यानी एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपेलशन सबमरीन है. इसका फायदा ये है कि इन्हें डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन की तरह बार-बार समंदर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी. यानी, एक तरह से ये स्टेल्थ-सबमरीन होंगी.

रक्षा मंत्रालय ने जिन पांच विदेशी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप में इन पनडुब्बियों को बनाने की मंजूरी दी है, उनमें रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, फ्रांस की नेवल ग्रुप-डीसीएनएस, जर्मनी की थायसेनक्रूप, स्पेन की नोवंटिया और दक्षिण कोरिया की डेइवू कंपनी शामिल है.

हालांकि, रक्षा मंत्रालय की तरफ से ये जानकारी नहीं दी गई है कि आरएफपी के लिए किन स्वेदशी शिपयार्ड्स को आरएफपी जारी की जाएगी. लेकिन जो सूत्रों से जानकारी मिली है उसमें एक सरकारी शिपयार्ड है और एक प्राईवेट शामिल हैं. सरकारी शिपयार्ड है मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड और प्राईवेट है एलएंडटी. पूरे प्रोजेक्ट की कीमत करीब 49 हजार करोड़ है.

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