BJP को घेरने AAP बुलाएगी महिला अदालत, अरविंद केजरीवाल के साथ नजर आएंगे अखिलेश यादव

दिल्ली में महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के मसले पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने भाजपा (BJP) को घेरने के लिए एक नया तरीका अपनाया है। 16 दिसंबर को दिल्ली में एक महिला अदालत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल होंगे। यह महिला अदालत दिल्ली में बढ़ती महिला असुरक्षा और खराब कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाएगी।

AAP का हमला: दिल्ली में कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर कड़ा हमला बोला है। उनका कहना है कि दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और अपराधी बेखौफ हो गए हैं। हर दिन गोलीबारी, हत्या, अपहरण और चाकूबाजी जैसी घटनाओं के कारण दिल्ली के लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। केजरीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली में गली-गली में गैंगस्टर्स सक्रिय हैं और ड्रग्स माफिया ने पूरे शहर में अपना जाल फैला लिया है।

केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक चिट्ठी भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने दिल्ली में बढ़ते अपराधों का हवाला देते हुए कहा था कि अब अपराधी इतनी बड़ी बेबाकी से दिनदहाड़े वारदातें कर रहे हैं, जैसे उन्हें किसी का डर ही नहीं है। केजरीवाल ने दिल्ली की सड़कें और गलियों को अपराधियों का गढ़ बताया और सवाल उठाया कि क्या भाजपा को इस पर कोई ध्यान नहीं है?

अखिलेश यादव की भी होगी उपस्थिति

दिल्ली में महिला अदालत के आयोजन में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद रहेंगे। अखिलेश यादव हमेशा से विपक्षी एकता के पक्षधर रहे हैं और इस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति से यह साफ है कि विपक्ष दिल्ली में भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहा है। इस कदम से दिल्ली की राजनीति में अहम संदेश जा रहा है, जिसमें भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का एक गठबंधन नजर आता है।

केजरीवाल ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, “बीजेपी के पास दिल्ली के लिए कोई विज़न नहीं है, न ही कोई सीएम चेहरा और न ही कोई ठोस योजना। उनकी बस एक ही नीति है, ‘केजरीवाल को हटाओ’।” उन्होंने बीजेपी की दिल्ली टीम पर भी सवाल उठाया और यह कहा कि बीजेपी के पास कोई ऐसा दल नहीं है जो दिल्ली के मुद्दों को सही तरीके से उठा सके।

महिला सुरक्षा: AAP की नई राजनीति

AAP का कहना है कि महिला सुरक्षा अब दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है, और पार्टी इस मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरने के लिए महिला अदालत का आयोजन कर रही है। पार्टी के मुताबिक, यह कदम केवल चुनावी फायदे के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली की महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों पर गंभीर सवाल उठाने के लिए उठाया गया है। महिला अदालत के माध्यम से AAP महिला सुरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता पर लाने का प्रयास करेगी और भाजपा के रवैये पर सवाल खड़े करेगी।

AAP के नेताओं का कहना है कि दिल्ली में महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं और आए दिन महिलाओं के साथ अत्याचार और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में भाजपा को घेरने के लिए यह महिला अदालत एक प्रभावी कदम साबित हो सकता है।

क्या महिला अदालत BJP पर दबाव बना पाएगी?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या AAP की महिला अदालत भाजपा पर दबाव बना पाएगी और क्या यह कदम दिल्ली की जनता को प्रभावित करेगा? क्या महिला सुरक्षा का मुद्दा अगले विधानसभा चुनाव 2025 में AAP के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी हथियार साबित होगा? फिलहाल, AAP अपनी पूरी ताकत से BJP को घेरने की तैयारी में है, और महिला सुरक्षा का मुद्दा इस रणनीति का एक अहम हिस्सा बन चुका है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी

AAP ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने बीजेपी को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। दिल्ली में महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को लेकर AAP का अभियान और महिला अदालत का आयोजन बीजेपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक दबाव बन सकता है।

इस बीच, भाजपा भी इस मुद्दे पर अपनी रणनीति तय कर रही होगी, ताकि AAP के इस कदम को बेअसर किया जा सके। हालांकि, AAP के इस कदम से यह साफ हो गया है कि पार्टी दिल्ली में बढ़ते अपराधों और महिला असुरक्षा के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने वाली है।

दिल्ली की जनता का क्या होगा असर?

महिला अदालत का आयोजन दिल्ली में राजनीति का नया मोड़ ला सकता है। यह देखना होगा कि क्या AAP इस मुद्दे के जरिए दिल्ली की जनता को अपनी तरफ कर पाएगी और क्या यह कार्यक्रम दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP के लिए निर्णायक साबित होगा?

इस पहल के माध्यम से AAP ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि महिला सुरक्षा अब केवल चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि दिल्ली के नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों का भी मामला बन चुका है। इस मुद्दे पर अब राजनीति का नया पहलू सामने आया है, और महिला अदालत इस दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।

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