दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट में आज केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने केजरीवाल की जमानत का विरोध किया और तमाम दलीलें रखी. उधर, सुनवाई से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने तर्क दिया कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कुछ भी अब तक न तो साबित हुई है और न ही ऐसे कोई सबूत मिले हैं.
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में गिरफ्तार किए गए अरविंद केजरीवाल का मामला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की कोर्ट में चल रहा है. केजरीवाल की जमानत याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दिपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई की.
केजरीवाल की ओर से याचिका दायर कर चुनाव प्रचार के लिए जमानत की मांग की गई थी. इस याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने कहा कि चुानव प्रचार करना न तो मूल अधिकार है न तो संवैधानिक और कानूनी अधिकार. इसलिए उन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए.
ED ने रूल ऑफ इक्वैलिटी का दिया उदाहरण
ईडी ने अपने हलफनामें में कहा कि केवल राजनीतिक प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना समानता के नियम के खिलाफ होगा. राजनीतिक व्यक्ति को प्रचार के लिए जमानत देना भेदभावपूर्ण होगा क्योंकि प्रत्येक नागरिक का काम/व्यवसाय/पेशा या गतिविधि उसके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है.
अनुच्छेद 14 के तहत ईडी ने रखी बात
ईडी के इस हलफनामे के बाद अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती है. क्योंकि ईडी ने हलफनाम दायर कर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का जिक्र कर दिया है. जो कहता है कि कानून के सामने सभी बराबर है. आर्टिकल 14 कहता है कि ‘कानून के समक्ष समानता’ एवं ‘कानून का समान संरक्षण’.
कल सुप्रीम कोर्ट सुना सकता है फैसला
10 मई को सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर अपना फैसला सुना सकता है. ईडी के हलफनामे के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को बेल देता है कि नहीं.
बीते 21 मार्च से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं. हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था. जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को लेकर चुनौती दी. पिछली सुनवाई में अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए ईडी से कई सवाल पूछे था. कोर्ट ने पूछा था कि शराब घोटाले जांच को दो साल हो रहे आखिर अब इतना समय क्यों लग रहा है. जांच पूरी क्यों नहीं हो पा रही है?