आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को जंतर मंतर पर आयोजित ‘जनता की अदालत’ में भाग लिया। इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों की भी शुरुआत की। केजरीवाल ने इस मौके पर बीजेपी पर तीखा हमला किया और अपनी भावनाएं साझा कीं।
बीजेपी पर हमले के साथ खुद की सफाई
अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “इनकी चमड़ी मोटी है, इन्हें किसी केस या मुकदमे से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं। मुझे झूठे आरोपों का सामना करना पड़ता है, और जब मुझे चोर या भ्रष्टाचारी कहा जाता है, तो मुझे फर्क पड़ता है। मैं दुखी हूं, इसलिए मैंने इस्तीफा दिया। मैंने अपने जीवन में केवल इज्जत और ईमानदारी कमाई है, मेरे बैंक में कोई पैसा नहीं है।”
दिल्ली में घर की कमी का जिक्र
केजरीवाल ने आगे कहा, “10 साल के बाद मैंने सीएम पद से इस्तीफा दिया है। कुछ ही देर में मुझे मुख्यमंत्री आवास भी छोड़ना है। आज दिल्ली में रहने के लिए मेरे पास घर तक नहीं है।” यह बयान उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के संघर्षों और ईमानदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए दिया।
ईमानदारी पर जोर
उन्होंने कहा, “अगर मैं बेईमान होता, तो मैं दिल्ली को फ्री बिजली कैसे देता? बिजली का बिल फ्री करने के लिए 3 हजार करोड़ रुपये लगते हैं। अगर मैं बेईमान होता तो शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार कैसे करता? मैं सारे पैसे खा जाता।” केजरीवाल ने यह भी कहा कि 22 राज्यों में सरकारें हैं, लेकिन कहीं भी बिजली और महिलाओं के लिए फ्री यात्रा की सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि असली चोर कौन है?
जनता की अदालत का अभियान
केजरीवाल ने घोषणा की कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए वे सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में जनता की अदालत लगाएंगे। इस दौरान वह लोगों से सवाल पूछेंगे कि क्या आम आदमी पार्टी की सरकार ईमानदार है या नहीं। वे जानना चाहेंगे कि लोग उन्हें ईमानदार मानते हैं या नहीं। यह कदम उन्होंने चुनावी रणनीति के तहत उठाया है।
जमानत के बाद का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल 13 सितंबर को दिल्ली आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद तिहाड़ जेल से रिहा हुए थे। उन्होंने 15 सितंबर को सीएम पद से इस्तीफे का ऐलान किया था और फिर 17 सितंबर को औपचारिक रूप से पद छोड़ दिया। केजरीवाल ने अपने कार्यकर्ताओं को बताया कि जब तक जनता की अदालत में उन्हें ईमानदार साबित नहीं किया जाता, तब तक वह दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।