वाराणसी ज्ञानवापी मामले पर सियासी चेहरे अपने अपने तरीके से रंग भरने लगे हैं , सियासत के गलियों में गरमाहट तबसे तेज हो गई जबसे काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के मुखिया डॉ. कुलपति तिवारी के ने ज्ञानवापी मंदिर को तोड़ने का आरोप मुगल शासक औरंगजेब पर लगाया है। तिवारी का कहना है कि 1669 में औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर का एक भाग तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। उससे पूर्व जौनपुर के शर्की सुलतान ने 14वी सदी में मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनवाया था।
इसी बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आज लगातार दो ट्वीट किए और पीएम मोदी को घेरे में लेने की पूरी कोशिश की ।ओवैसी ने औरंगजेब का इस मामले में नाम घसीटे जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि देश को असली मुद्दे से भटकाने के लिए हर बात में औरंगजेब को घसीटा जा रहा है । ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा की इस देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का भी कारण औरंगजेब हैं।
ओवैसी ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि यह 1991 के पार्लियामेंट एक्ट का उल्लंघन है। एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि 1991 में साफ हो गया था कि जो भी धार्मिक संरचनाएं हैं वो यथास्थिति में रहेंगी तो अब उस कानून को क्यों तोड़ा जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि मस्जिद कमिटी के अनुसार वो शिव लिंग नहीं, बल्कि फव्वारा था। कोर्ट के कमिश्नर को साफ तौर से ये बात बतानी चाहिए थी कि शिव लिंग मिला हैं । इस मुद्दे को और तुल देते हुए ओवैसी ने कहा की यह ज्ञानवापी मस्जिद थी, और इंशाअल्लाह कयामत तक कायम रहेगी।