गुवाहाटी: असम सरकार ने बाल विवाह को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया कि अब से स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं को हर महीने 1000 रुपये की स्कॉरलरशिप दी जाएगी। इससे छात्राएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगी और बाल विवाह के खतरे से भी बच सकेंगी।
योजना का उद्देश्य
सीएम सरमा ने कहा कि यह योजना मुख्य रूप से उन लड़कियों के लिए है, जो अपने माता-पिता पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना चाहतीं। योजना का उद्देश्य है कि छात्राएं अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें और भविष्य में अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकें। उन्होंने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएशन की छात्राओं को हर महीने 2500 रुपये मिलेंगे।
बाल विवाह पर रोक
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस कदम से बाल विवाह की प्रथा में कमी आएगी। उनका मानना है कि जब लड़कियों को आर्थिक सहायता मिलेगी, तो इससे परिवारों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और बाल विवाह की प्रथा कम होगी। इस योजना का नाम “मोइना अश्विनी” रखा गया है, और अनुमान है कि इसका लाभ करीब डेढ़ से दो लाख छात्राओं को मिलेगा।
लाभ लेने की शर्तें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें हैं। आवेदक को असम का स्थायी निवासी होना चाहिए। यदि कोई लड़की शादीशुदा है, तो वह इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएगी। इसके अलावा, सांसदों और विधायकों की बेटियां भी इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगी। आवेदकों को किसी सरकारी कॉलेज या इस योजना का समर्थन करने वाले शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित होना अनिवार्य है।
समाज पर प्रभाव
इस पहल के जरिए असम सरकार ने यह संदेश दिया है कि लड़कियों की शिक्षा और उनकी सुरक्षा दोनों महत्वपूर्ण हैं। सीएम ने कहा कि हमें अपने समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि बाल विवाह की प्रथा को खत्म किया जा सके। शिक्षा के माध्यम से ही हम एक मजबूत और आत्मनिर्भर समाज का निर्माण कर सकते हैं।