जम्मू-कश्मीर में 25 सितंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान से पहले, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मेंढर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला, मुफ्ती और नेहरू-गांधी परिवार पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि इस बार का चुनाव इन तीनों परिवारों की राजनीति को खत्म करने वाला साबित होगा। शाह का यह बयान उस समय आया है जब चुनावी माहौल गर्म है।
दहशतगर्दी का समर्थन करने का आरोप
अमित शाह ने आरोप लगाया कि 90 के दशक से लेकर अब तक, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों ने जम्मू-कश्मीर में केवल दहशतगर्दी का समर्थन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दहशतगर्दी के खिलाफ ठोस कदम उठाए गए हैं, जिससे यहां के युवाओं के हाथों में पत्थर की जगह लैपटॉप दिया जा रहा है।
2014 के पहले का हाल
शाह ने कहा कि यदि 2014 में मोदी सरकार न आई होती, तो पंचायत, ब्लॉक और जिले के चुनाव नहीं हो पाते। उन्होंने बताया कि 40 हजार युवा आतंकवाद के कारण मारे गए, जबकि अब्दुल्ला परिवार छुट्टियाँ मना रहा था। उनका यह कहना था कि 2014 तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का माहौल था, लेकिन अब इसे खत्म किया जा रहा है।
गोलीबारी का बदलता मंजर
केंद्रीय मंत्री ने 90 के दशक की गोलीबारी को याद करते हुए कहा कि आज वह स्थिति नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले यहां के नेता पाकिस्तान से डरते थे, लेकिन अब पाकिस्तान प्रधानमंत्री मोदी से डरता है। शाह ने कहा कि अब जो भी गोलीबारी होगी, उसका जवाब गोले से दिया जाएगा।
आरक्षण पर जोर
अमित शाह ने गुर्जरों के आरक्षण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने ओबीसी, पिछड़ों, गुर्जर बकरवाल और पहाड़ियों को आरक्षण देने का काम किया है। उन्होंने फारूक अब्दुल्ला की पार्टी पर आरोप लगाया कि उन्होंने गुर्जर समुदाय को भड़काने का प्रयास किया।
शाह ने कहा कि जब उन्होंने राजौरी में गुर्जर समुदाय से वादा किया था कि वे उनके आरक्षण को कम नहीं करेंगे, तो वह उस वादे पर कायम हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहाड़ियों को भी आरक्षण दिया जाएगा।
अमित शाह का यह बयान चुनावी माहौल में हलचल पैदा करने वाला है। उनकी बातों से साफ जाहिर होता है कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस चुनावी रण में तीन परिवारों की राजनीति के खिलाफ भाजपा का यह हमला निश्चित रूप से लोगों के मन में सवाल उठाएगा कि क्या अब्दुल्ला, मुफ्ती और नेहरू-गांधी परिवार की राजनीतिक स्थिति अब खतरे में है।