दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हुआ जब आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने वाली तीन महिलाओं में सबसे कम उम्र की हैं और स्वतंत्र भारत में इस पद पर आसीन होने वाली 17वीं महिला भी बन गई हैं। शपथ लेने के बाद, उन्होंने जनता से एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को वोट देने की अपील की, ताकि भाजपा दिल्ली की जनता का हाल और बुरा न कर सके।
आतिशी ने कहा, “अगर अरविंद केजरीवाल को नहीं चुना गया, तो दिल्ली की जनता को ना मुफ्त बिजली मिलेगी और ना ही मुफ्त पानी। केजरीवाल मेरे बड़े भाई और गुरु हैं। उन्होंने मुझे यह अवसर दिया, इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करती हूं। यह मेरे लिए और हम सबके लिए एक बहुत भावुक क्षण है।”
आने वाले चुनाव की चुनौतियाँ
आतिशी का मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल काफी संक्षिप्त रहेगा, क्योंकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी में होने वाले हैं। ऐसे में उनके सामने कई चुनौतियाँ होंगी।
भाजपा नेताओं की प्रतिक्रियाएं
आतिशी के शपथ लेने के बाद भाजपा नेता अपर्णा यादव ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, “समय बहुत कम है, दिल्ली चुनाव में बहुत कम समय बचा है। वह पहले जल मंत्री थीं, लेकिन दिल्ली में यमुना की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। देखना होगा कि मुख्यमंत्री के रूप में वे क्या करेंगी, लेकिन अंततः दिल्ली की जनता तय करेगी कि किसे सत्ता देनी है।”
वहीं, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने आतिशी को ‘डमी मुख्यमंत्री’ बताते हुए कहा कि यह सरकार रिमोट से चलेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की जनता को पिछले 6-8 महीनों का हिसाब देना चाहिए।
आतिशी का अगला कदम
आतिशी का यह कार्यकाल भले ही छोटा हो, लेकिन वे इसे एक अवसर मानते हुए जनता की भलाई के लिए काम करने का संकल्प ले चुकी हैं। उन्होंने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता दिल्लीवासियों की जरूरतें और समस्याएँ होंगी।
आने वाले दिनों में, दिल्ली की राजनीति में क्या मोड़ आएगा, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या आतिशी अपने कार्यकाल में जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगी?