स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट में रिसाव के कारण बुधवार को लॉन्च होने वालेएक्सिओम मिशन-4 को स्थगित कर दिया गया है. मरम्मत के लिए इंजीनियरों ने समय मांगा है.इस मिशन में भारतीय एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के साथ तीन अन्य सदस्यों के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होने वाले थे. इस मिशन को फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से बुधवार शाम को लॉन्च करने की योजना थी. यह एक प्राइवेट फ्लाइट मिशन है, जिसे स्पेस एजेंसी NASA और अमेरिकी प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस मिलकर लॉन्च कर रहे थे.
क्या है एक्सिओम मिशन-4?
इस मिशन में भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो और नासा हिस्सा ले रहे हैं. इस दौरान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सूक्ष्म शैवालों पर माइक्रोगैविटी रेडिएशन का असर देखा जाएगा. अंतरिक्ष में सलाद के बीजों को अंकुरित करना और वो चालक दल के लिए कितना पोषक तत्वों से भरपूर है, यह जांचा जाएगा. इसके अलावा माइक्रोग्रेविटी में मेटाबॉलिक सप्लिमेंट का मांसपेशियों पर क्या असर पड़ता है, प्रयोगों के जरिए यह समझने की कोशिश की जाएगी. इसी माइक्रोग्रैविटी में यूरिया और नाइट्रेट पर सायनोबैक्टीरिया किस तरह का व्यवहार करते हैं, यह भी देखा जाएगा.
मिशन भारत के लिए क्यों जरूरी?
इस मिशन से दुनियाभर में भारत की साख कैसे बढ़ेगी, अब इसे समझ लेते हैं. भारतीय वायु सेना (IAF) के प्रतिष्ठित पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के ऐतिहासिक गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में भी चुना गया है, जो देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है. इस मिशन से पहले एक्सिओम मिशन-4 से भारत को तकनीकी, वैज्ञानिक, आर्थिक और सामाजिक तौर पर फायदा होगा. मिशन से मिलने वाले अनुभव अगले भारतीय मिशन के लिए काम आएंगे.
भविष्य के गगनयान और अगले स्पेस स्टेशन की नींव मजबूती के साथ रखी जा सकेगी. एक्सिओम मिशन-4 भारत को स्पेस के क्षेत्र के वैश्विक शक्ति के रूप में पेश करेगा. चंद्रयान-3 मिशन से भारत पहले ही झंडे गाड़ चुका है. अगले मिशन दुनिया में भारत की स्पेस पावर की छवि को मजबूत करेंगे.
मिशन में किसके पास कौन सी जिम्मेदारी?
पूरे मिशन में संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतर्राष्ट्रीय चालक दल शामिल हैं. जिसमें नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस की ह़यूमन स्पेसफ्लाइट की निदेशक पैगी व्हिटसन कॉमर्शियल मिशन की कमान संभालेंगी. इसरो अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे. इस निजी मिशन में ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) प्रोजेक्ट से पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री स्लावोस्ज़ उज़्नान्स्की-विज़्निविस्की और हंगरी के एस्ट्रोनॉट टिबोर कापू जुड़े हैं. दोनों ही मिशन स्पेशलिस्ट के तौर पर काम करेंगे.
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
चालक दल के सदस्यों में, 39 वर्षीय भारतीय वायु सेना के पायलट शुभांशु शुक्ला हैं, जो राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय होंगे, जिन्होंने 1984 में अंतरिक्ष उड़ान भरी थी. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), पुणे से प्रशिक्षण ले चुके शुभांशु की जून 2006 में भारतीय वायु सेना (IAF) के लड़ाकू विंग में तैनाती की गई. मार्च 2024 में वह ग्रुप कैप्टन बने. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे शुभांशु के पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 सहित विभिन्न विमानों में 2,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है