लखनऊ:विपुल विजयवर्गीय उर्फ रमजान की पत्नी आयशा का बयान आया सामने आयशा का कहना जो बातें धर्म परिवर्तन को लेकर चलरही हैं वह बिल्कुल गलत है. मंदिर पर जाने का उद्देश्य आपसी भाईचारा और समझाना था. ये मामला गाजियाबाद के संजय नगर का है. मकान नंबर E 317 जिसमें कासिफ अपने पूरे परिवार के साथ रहता है परिवार में कासिफ की पत्नी दो बच्चे उनकी मां शामिल हैं, साथ ही उनकी बहन आयशा भी संजय नगर आई हुई है. कासिफ और विपुल विजयवर्गीय उर्फ रमजान बीती 2 तारीख को गाजियाबाद के डासना स्थित देवी मंदिर पर यति नरसिंहानंद से मिलने के लिए गए थे. इस मुलाकात दौरान पुलिस द्वारा उनको गिरफ्तार किया गया और अब एटीएस लखनऊ ने विपुल विजयवर्गीय से बातचीत के बाद यह खुलासा किया एक बड़ा नेक्सस धर्मांतरण का कार्य करा रहा है.
पुलिस ने बताया कि इस काम में देश के बाहर से लोगों को फंडिंग की जा रही है. जब जब चुनाव आते हैं बीजेपी हमेशा धर्म और जाति के नाम पर बांटने का काम करती है. आज शिक्षा, हेल्थ बेरोजगारी पर बात नहीं करी. यूपी का चुनाव आ रहा है ये बाते आती रहेंगी. कानून अपना काम करेगा लेकिन बीजेपी को चुनाव के वक़्त ये मुद्दे क्यों याद आती है. चर्चा हमेशा हिंदुस्तान पाकिस्तान और हिंदू मुस्लिम पर होगी.
इसके पहले उत्तर प्रदेश एटीएस ने कथित तौर पर 1000 से ज्यादा लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के आरोप में दिल्ली से दो लोगों को गिरफ्तार किया है. उमर गौतम और जहांगीर नाम के इन दोनों आरोपियों ने कथित तौर पर लगभग 1000 गैर-मुसलमानों को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए मजबूर किया था. एक आरोपी ने खुलासा किया कि वह जामिया नगर के बटाला हाउस का रहने वाला है और उसने खुद धर्म परिवर्तन किया है. आरोपी उमर गौतम मूल रूप से फतेहपुर जिले के थरियांव थाना क्षेत्र के पंथुवा गांव का रहने वाला है. गिरफ्तारी की खबर के बाद आरोपी के गांव में हड़कंप मच गया. पुलिस उमर के गांव पहुंच गई है, जहां उन्होंने जांच भी शुरू कर दी है.
पुलिस ने आरोपी उमर के चेचरे भाई राजू सिंह से पूछताछ की है. इसके मुताबिक, आरोपी उमर गौतम ने गांव में ही रहकर हाई स्कूल तक की पढ़ाई की थी. इसके बाद उमर शहर छोड़कर उत्तराखंड के पंतनगर चला गया. फिर बाद में दिल्ली रहने लगा. सन 1982 में उमर वापस अपने पैतृक गांव पंथुआ आया और गाजीपुर थाना क्षेत्र के खेसहन गांव में छत्रपाल सिंह की बेटी राजेश कुमारी से शादी करने के कुछ दिन बाद ही पत्नी को लेकर वापस दिल्ली चला गया. एक साल बीतने के बाद जब उमर गौतम उर्फ श्याम प्रताप सिंह द्वारा धर्म परिवर्तन करने की जानकारी उसके परिवार वालों को हुई तो वह उससे बहुत नाराज हुए. इसके बाद से उमर साल दो साल में अक्सर गांव आता-जाता रहा, लेकिन उससे ज्यादा कोई लगाव व बातचीत नहीं करता था. उसके धर्म परिवर्तन से परिवार के अलावा गांव का राजपूत समाज भी बहुत खफा था.