अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6 अगस्त से खुली अदालत में सुनवाई होगी। साथ ही कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता कमेटी कामयाब नहीं हो पाई। मंदिर विवाद पर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच आम सहमति बनाने के लिए अयोध्या मध्यस्थता पैनल को 31 जुलाई तक का समय दिया गया था।
राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मामले में गठित जस्टिस एफएमआई कलीफुल्लाह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंप दी। न्यायालय शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई ने कहा कि अब 6 अगस्त से रोजाना होगी सुनवाई।
गत 18 जुलाई को हुई सुनवाई में संविधान पीठ ने कमेटी को मध्यस्थता की प्रक्रिया जारी रखने के लिए कहा था और एक अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट को देखने के बाद आगे की सुनवाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी। मालूम हो कि गत आठ मार्च को उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता पैनल का गठन किया था।
गत 11 जुलाई को अदालत ने समिति को 18 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। बाद में मध्यस्थता पैनल को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक अगस्त तक का वक्त दिया गया था। कमेटी में जस्टिस कलीफुल्लाह केअलावा अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता विशेषज्ञ वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू हैं। अधिकतर हिन्दू पक्षकारों का कहना था कि मध्यस्थता के जरिए इसका समाधान नहीं निकल सकता। लिहाजा अदालत को मेरिट के आधार पर सुनवाई करनी चाहिए। सनद रहे कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पिछले नौ वर्षों से लंबित है।