सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने शुक्रवार को अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू की। इस संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एसए नज़ीर, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस डीवाई चंद्रचूण शामिल हैं।
अयोध्या मामले की सुनवाई
अयोध्या के विवादित ढांचे के मामले की सुनवाई के दौरान मध्यस्थता कराने के लिए बनाए गए तीन सदस्यीय पैनल ने अपना काम पूरा करने के लिए थोड़े और समय की मांग की। कोर्ट ने उन्हें 15 अगस्त तक का समय इस्तेमाल करने की इजाजत दी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि इस मामले में हुई किसी भी तरह की प्रगति को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। यह गोपनीय रखी जाएगी।
उन्होंने कहा कि हमें मध्यस्थता कमेटी की रिपोर्ट मिली है और हमने इसे पढ़ा है। समझौते की प्रक्रिया जारी है। हम रिटायर जस्टिस कलीफुल्ला की रिपोर्ट पर विचार कर रहे हैं। रिपोर्ट में सकारात्मक विकास की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है।
इस दौरान कुछ हिन्दू पक्षकारों ने मध्यस्थता की प्रक्रिया पर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि पक्षकारों के बीच कोई कॉर्डिनेशन नहीं है। हालांकि मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने कहा कि हम मध्यस्थता प्रक्रिया का पूरी तरह से समर्थन करते हैं।
इस मामले के सौहार्द्रपूर्ण निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन-सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन किया था। समिति सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है।
कोर्ट ने 8 मार्च को मध्यस्थता समिति के पास यह मामला भेजा था। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफएमआई कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राम पांचू का नाम शामिल है।
अयोध्या मामले पर सुनवाई को लेकर बाबरी मस्जिद मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा कि कोर्ट ने पैनल बनाया और पैनल के लोगों ने 25 पक्षकारों से बात की। यह मसला तय हो और इस तरह से हो कि सारे लोग खुश हों। इस फैसले को लेकर हिंदू भी खुश हो और मुसलमान भी खुश हो, फैसला एकतरफा नहीं होना चाहिए। फैसला ऐसा होना चाहिए कि पूरे देश में अमन व चैन हो, अफरा-तफरी का माहौल न हो।