नई दिल्ली: अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्ज़िद मामले में सुप्रीम कोर्ट आज अहम सुनवाई करेगा. चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों का संविधान पीठ ये तय करेगा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए या नहीं. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए थे कि अगर मामला मध्यस्थता के जरिए निपटता है सुप्रीम कोर्ट भी उसमें मदद करने के लिए तैयार है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ कर रही है. 26 फरवरी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अगली सुनवाई में यह फैसला करेंगे कि इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए या नहीं. कोर्ट में 6 मार्च को अगला आदेश देने की बात की गई थी.
हालांकि, मध्यस्थता की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों की कई तरह की आवाज़ें सुनाई दी थीं. हिंदू महासभा के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता का विरोध किया था और कहा था कि इस प्रकार की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं जो हर बार नाकाम रही है. जबकि बाबरी मस्जिद पक्ष ने मध्यस्थता पर कहा था कि अगर यह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होता है तो वह तैयार है. इसके अलावा निर्मोही अखाड़ा ने भी मध्यस्थता की बात पर सहमति जताई थी.
गौरतलब है कि इलाहाबाद HC के 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपील दायर की गई हैं. हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था.