राम नवमी पर होगा रामलला का सूर्य तिलक, जानें कैसे हुआ ये संभव?

अयोध्या में बने राम मंदिर में कई ऐसी खूबियां हैं जो इसे सबसे अनोखा मंदिर बनाती हैं. मंदिर को भूकंप रोधी और सैकड़ों सालों तक चलने वाला बनाया गया है. इस मंदिर में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा इंतजाम किया है कि राम नवमी के मौके पर सूरज की किरणें भगवान राम का सूर्य तिलक करेंगी. यानी सूरज से आने वाली किरण गर्भगृह में विराजमान रामलला के माथे पर पड़ेंगी. चैत्र नवरात्रि में इसका ट्रायल भी कर लिया गया है. यानी चैत्र नवमी के मौके पर पहली बार ऐसा मौका आएगा जब सूर्य देवता रामलला का तिलक करेंगे. यह एक अद्भुत नजारा होगा जो अध्यात्म और विज्ञान के अनूठे संगम को दिखाएगा.

सैकड़ों वर्षों के बाद रामलला अयोध्या में विराजमान हुए हैं. जनवरी में राम मंदिर खुलने के बाद से हर दिन लाखों श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर रहे हैं. ऐसे में चैत्र नवरात्रि की नवमी यानी राम जन्मोत्सव का दिन सबसे अहम माना जा रहा है. मंदिर निर्माण के समय ही यह योजना बनाई गई थी कि राम नवमी के मौके पर भगवान का सूर्य तिलक कराया जाएगा. अब इसके इंतजाम भी पूरे कर लिए गए हैं. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.

क्या है सूर्य तिलक?

इस साल रामनवमी 17 अप्रैल को है. इसी दिन दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य अभिषेक किया गया था. सूर्य तिलक का सीधा मतलब है कि सूरज की किरणें सीधे भगवान रामलला के माथे पर पड़ें और यह ऐसी दिखें जैसे सूरज की किरणों का तिलक लगा हुआ है. इसके लिए आईआईटी रुड़की की एक टीम काफी समय से काम कर रही है.

सूर्य तिलक को संभव बनाने के लिए मंदिर के तीसरे तल पर एक दर्पण लगाया गया है जिस पर सूरज की सीधी किरणें दोपहर 12 बजे पड़ेंगी. यहां से पीतल का एक पाइप लगाया गया है जिसमें दर्पण लगे हैं. 90 डिग्री पर मुड़े इस पाइप में दर्पण इस तरह लगाए गए हैं कि कई बार मुड़ने के बावजूद सूरज की किरणें परावर्तित होकर पाइप के दूसरे छोर पर निकल जाएंगी. इस पाइप का आकार और दर्पण को इस तरह से सेट किया गया है कि एक छोर पर पड़ने वाली सूरज की किरणें दूसरे छोर से निकलेंगी तो सीधे रामलला के माथे पर पड़ेंगी.

यही किरणें कई लेंस और दर्पण से होते हुए रामलला के माथे पर 75 मिलीमीटर का सूर्य तिलक लगाएंगे. यह घटना सिर्फ 4 मिनट की होगी. यानी रामनवमी के मौके पर 4 मिनट ही ऐसे होंगे जब सूरज की किरणें रामलला के मस्तक की शोभा बढ़ाएंगी. लगभग 100 LED और लाइव टेलीकास्ट के जरिए इसका सीधा प्रसारण भी किया जाएगा. इस पूरे सिस्टम में ऐसे उपकरण लगाए गए हैं जो दर्पण और लेंस पर सूरज की किरणों की चाल बदलेंगे. अनोखी बात यह है कि पूरा सिस्टम बिना बिजली के ही काम करेगा.

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