हमीरपुर के खनन घोटाले में घिरीं आईएएस बी. चंद्रकला ने सोशल मीडिया पर एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा है. आईएएस चंद्रकला ने लिंक्डइन पर जो लिखा है, वह भले ही किसी और की कविता हो, लेकिन बगावती तेवर की यह खुली किताब बीजेपी की सरकार का पारा ठंड के इस मौसम में भी गरम कर सकती है. प्रस्तुत पंक्तियां लेखक राकेश कुमार की पुस्तक ‘भारतीय राजनीति में एलियन इरा’ से लिंक्डइन पर चंद्रकला ने यह ताजा पोस्ट की है.
“सुनो, ऐ सरकारें हत्यारी,
तुम, जाने की, करो तैयारी।।
कण-कण में हम आंधी हैं,
हम भारत के, गांधी हैं।।
लोकतंत्र का एक निशान,
जन-गण-मन का करो, सम्मान।।
लोकतंत्र की एक कसौटी,
कण-कण फैले जीवन-ज्योति।।”
“जमीर जो कहे, वही कर,
जालिम कहाँ डरता है जो, तू किसी से डर।।
हर तूफान को पता है, हम आसमान हैं,
वक्त के सीने पर मुकम्मल निशान हैं;
अपने रास्ते पर चल, हर रंग तेरी है,
ये धरती तेरी है, ये गगन तेरी है,
हर गुल तेरी है कि, ये गुलशन भी तेरी है।।
जमीर जो कहे, वही कर,
जालिम कहाँ डरता है जो, तू किसी से डर।।”
करीब तीन सप्ताह पहले भी बी चंद्रकला ने लिंक्डइन पर ‘जानेमन, तुम छिप-छिप कर आना’ शीर्षक से एक कविता पोस्ट की थी.
सीबीआई छापे के तुरंत बाद पोस्ट की गई कविता
सीबीआई ने अवैध खनन मामले में IAS बी.चंद्रकला के लखनऊ स्थित आवास पर 6 जनवरी 2019 को छापा मारा था. छापे के कुछ दिन बाद ही उन्होंने सोशल मीडिया पर ‘जीवन के रंग को क्यों फीका किया जाए’ लिखा था.
“चुनावी छापा तो पड़ता रहेगा, लेकिन जीवन के रंग को क्यों फीका किया जाए दोस्तों।
आप सब से गुजारिश है कि मुसीबतें कैसी भी हो, जीवन की डोर को बेरंग ना छोड़ें।।