पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक ऐसा नाम जो दुनिया भर में भागवत कथा, श्री राम कथा, हनुमंत कथा आदि के लिए जाना जाता है। लेकिन चर्चा में वे तब आए, जब बेबस, मजबूर लोगों के दिल का हाल उन्होंने बिना कुछ कहे ही जान लिया। देश-दुनिया में उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है।
हर उम्र का तबका आपको उनके फॉलोअर्स की लिस्ट में दिख जाएगा। अपने नाम की अर्जी लगाने के बाद वह व्यक्ति की हर परेशानी को चेहरा देखकर खुद ही बता देते हैं। परेशान दिल का हाल जैसे ही लोगों के सामने आता है, वे भावुक हो जाते हैं, उनकी संवेनाएं उनसे जुडऩे लगती हैं और फिर वे उन्हें उनकी परेशानियों का हल भी बताते हैं।इसके साथ ही पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री देश के सबसे महंगे कथा वाचक हैं। एक कार्यक्रम के लिए आयोजकों को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन एक ऐसा भी समय था जब कभी एक टाइम का खाना भी मिलना मुश्किल होता था।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपूर जिले के गड़ागंज गांव में हुआ था. पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बचपन आर्थिक तंगी में बीता है। एक समय पर उन्हें खाना तक नहीं मिल पाता था। पंडित धीरेंद्र शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और मां सरोज गर्ग हैं। ऐसा कहा जाता है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने 11 साल की उम्र में ही बागेश्वर धाम की पूजा करना शुरू कर दिया था।
मध्य प्रदेश के छतरपुर के पास एक गढ़ा जगह है यहीं पर बागेश्वर धाम हैं। बागेश्वर धाम में हर मंगल और शनिवार को भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यहां पर मौजूद बालाजी हनुमान मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. मंदिर में साल 1987 में संत सेतु लाल जी आए थे। इन्हें भगवान दास जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा प्राप्त की थी।
यहां से दीक्षा प्राप्त करने के बाद ही वह गड़ागंज पहुंचे थे। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री इनके ही पौत्र हैं। साल 2012 से बागेश्वर धाम की सिद्ध पीठ पर श्रद्धालुओं की समस्या का निवारण करना शुरू हुआ था। वर्तमान समय में बागेश्वर धाम की बागडोर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के हाथों में है