उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महाराजगंज कस्बे में हालात अब धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। शुक्रवार को बाजारों में रौनक देखी गई और जुमा की नमाज भी शांतिपूर्ण तरीके से अदा की गई। हालांकि, कुछ मकानों पर ध्वस्तीकरण नोटिस चस्पा होने के कारण लोग अभी भी दहशत में हैं। सांप्रदायिक हिंसा के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को 26 और आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिसके साथ ही कुल गिरफ्तारियों की संख्या 87 हो गई है।
पुलिस का कार्रवाई और गिरफ्तारियां
पुलिस के मुताबिक, महाराजगंज हिंसा मामले में अब तक 87 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। पहले 61 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। यह हिंसा 13 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें रामगोपाल की हत्या हो गई थी। पुलिस ने 13 से 16 अक्टूबर के बीच 11 मुकदमे दर्ज किए, जिनमें 6 नामजद और लगभग 1000 अज्ञात आरोपी शामिल हैं। इन मामलों में शांति भंग की आशंका के चलते ये गिरफ्तारियां की गई हैं।
शांतिपूर्ण माहौल में लौट रही है रौनक
हालांकि महाराजगंज के कुछ हिस्सों में अभी भी सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन आम जनजीवन वापस पटरी पर लौट रहा है। शुक्रवार को जिले की सभी मस्जिदों में कड़ी सुरक्षा के बीच जुमे की नमाज अदा की गई। सभी बाजारों में शाम को चहल-पहल देखने को मिली। लेकिन जिन स्थानों पर हिंसा हुई थी, वहां अब भी लोग सहमे हुए हैं। कई घर खाली पड़े हैं और जो लोग हिंसा के डर से भाग गए थे, वे अभी तक वापस नहीं लौटे हैं।
ये है पूरा मामला
यह सब कुछ 13 अक्टूबर को मां दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के दौरान शुरू हुआ। डीजे पर आपत्तिजनक गाने बजाने को लेकर दो गुटों में विवाद हो गया। इसके बाद पथराव और फायरिंग की घटनाएं हुईं, जिनमें रामगोपाल मिश्रा की मौत हुई। घटना के बाद रामगोपाल का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह दूसरे समुदाय के घर पर जाकर झंडा नोंचता हुआ दिख रहा है। इसके बाद उसकी अंतिम संस्कार में बड़ी भीड़ उमड़ पड़ी, जिसने दूसरे समुदाय की दुकानों और मकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं कीं। कई घंटे तक भीड़ बेकाबू होकर उत्पात मचाती रही और अस्पताल व बाइक शोरूम तक फूंक दिए गए।
अब जबकि पुलिस कार्रवाई तेज हो चुकी है और कुछ हद तक स्थिति नियंत्रण में आ गई है, फिर भी स्थानीय लोगों में दहशत बनी हुई है। ध्वस्तीकरण नोटिस ने लोगों के मन में आशंका पैदा कर दी है। क्या महाराजगंज का यह कस्बा जल्द ही पूरी तरह से सामान्य स्थिति में लौट पाएगा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है, और आगे का समय बताएगा कि स्थानीय प्रशासन किस तरह से स्थिति को संभालता है।