बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए बामसेफ(बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एंप्लाई फेडरेशन) अध्यक्ष ने उनका बसपा पार्टी से कोई संबंध नहीं है. बामसेफ अध्यक्ष वामन मेश्राम ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि उनके संगठन का मायावती और बसपा (BSP) से कोई संबंध नहीं है और न ही लोकसभा चुनाव में कोई समर्थन. कांशीराम तक बसपा दलितों, बहुजनों के लिए काम कर रही थी, लेकिन जब से इसे मायावती ने टेकओवर किया है तब से वो सर्वजन खासतौर पर ब्राह्मणजनों के लिए काम कर रही है. वो मिशन से भटक गई है. इसलिए हमारा उसे कोई समर्थन हो ही नहीं सकता.
मेश्राम ने कहा, ‘हाथी के पागल होने की संभावना होती है. इससे पहले कि हाथी पागल हो जाए, उस पर अंकुश लगाने के लिए महावत बैठा देना चाहिए. वरना हाथी हमारे ऊपर ही चढ़ जाएगा. कांशीराम जी ने जो हाथी (बसपा) पैदा किया था वो अब पागल हो गया है. बसपा अब लक्ष्य से भटक चुकी है. कांशीराम जी के समय वाली बसपा और अब वाली बसपा में काफी अंतर है. इसलिए हम उसके साथ नहीं हैं.’
मेश्राम ने कहा, ‘हम लोग मूलनिवासी समाज को न्याय दिलाने के लिए काम कर रहे हैं. ब्राह्मणवाद को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं, लेकिन बसपा इससे भटक गई. वो अब ब्राह्मणों को साथ लेकर काम कर रही है. 2007 में जब यूपी में बसपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी थी तो एससी/एसटी एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में ऑर्डर निकाला गया था. फिर हम मायावती का साथ कैसे दे सकते हैं. गौर करने वाली बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट वाले ऑर्डर से पहले ही मायावती ने ये काम किया था.’
तो क्या महाराष्ट्र में प्रकाश आंबेडकर को भी आपका समर्थन नहीं है? इस सवाल के जवाब में मेश्राम ने कहा- ‘बिल्कुल, उन्हें भी समर्थन नहीं होगा, क्योंकि वो आरएसएस के ईशारे पर काम कर रहे हैं. इसका मेरे पास सबूत है.’
मेश्राम ने कहा, बामसेफ की प्रेरणा और उसके मिशन को आगे बढ़ाने के लिए हमारे समर्थकों ने 2012 ‘बहुजन मुक्ति पार्टी’ बनाई. ये लोग 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मैदान में थे. 2019 में इस पार्टी के लोग जहां-जहां खड़े हो रहे हैं वहां-वहां हमारा उन्हें समर्थन है. अन्य किसी पार्टी या निर्दलीय को भी बामसेफ समर्थन नहीं दे रहा है.