बांग्लादेश बना कंगलादेश, त्रिपुरा का 200 करोड़ बिजली बिल बकाया; सप्लाई होगी बंद?

बांग्लादेश पर 200 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है और त्रिपुरा सरकार को डर है कि अगर ये बिल चुकता नहीं हुआ, तो बिजली सप्लाई पर असर पड़ सकता है। यह विवाद उस वक्त उठा है जब भारत और बांग्लादेश के रिश्ते पहले से ही नाजुक दौर से गुजर रहे हैं।
200 करोड़ रुपये का बकाया बिजली बिल
भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं, खासकर बिजली के मामले में। लेकिन अब बांग्लादेश ने त्रिपुरा के 200 करोड़ रुपये के बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है। त्रिपुरा सरकार के अनुसार, यह बकाया लगातार बढ़ता जा रहा है, और यह किसी भी समय बिजली आपूर्ति में रुकावट पैदा कर सकता है। हालांकि, अभी तक भारत ने बांग्लादेश से बिजली की सप्लाई नहीं रोकी है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि बांग्लादेश जल्द ही अपना बकाया चुका देगा।
बिजली आपूर्ति के समझौते की शुरुआत
यह मामला तब का है जब 2016 में त्रिपुरा ने बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति शुरू की थी। त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (Tripura State Electricity Corporation) और NTPC विद्युत व्यापार निगम (NTPC Limited) के जरिए बांग्लादेश को 60-70 मेगावाट बिजली भेजी जा रही है। इसके लिए त्रिपुरा सरकार ने बांग्लादेश के पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ एक समझौता किया था। इस समझौते के तहत बांग्लादेश को नियमित रूप से बिजली मिल रही थी।
बकाया भुगतान में देरी
हालांकि, पिछले कुछ समय से बांग्लादेश ने बिजली का भुगतान करने में आनाकानी शुरू कर दी है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने इस पर चिंता जताई है और कहा कि बांग्लादेश का यह बकाया बढ़ता जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि क्या बकाया भुगतान न होने की स्थिति में त्रिपुरा सरकार बिजली की आपूर्ति बंद कर देगी, तो उन्होंने कहा कि यह एक विकल्प हो सकता है, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई स्थिति नहीं आई है और सरकार इसे लेकर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है।
बांग्लादेश की मदद के बदले बिजली
दरअसल, त्रिपुरा में बिजली उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए कई मशीनें बांग्लादेश के रास्ते लाई गई थीं। इसके बदले त्रिपुरा सरकार ने बांग्लादेश को एक समझौते के तहत बिजली देना शुरू किया। त्रिपुरा सरकार के इस कदम को कृतज्ञता के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि बांग्लादेश ने त्रिपुरा के विकास में सहयोग किया था।
इसके अलावा, भारत की अन्य सरकारी कंपनियां जैसे अडानी पावर, एनटीपीसी लिमिटेड, और पीटीसी इंडिया लिमिटेड भी बांग्लादेश को बिजली सप्लाई करती हैं। त्रिपुरा का ज्यादातर हिस्सा बांग्लादेश से घिरा हुआ है और इस राज्य की 84% सीमा बांग्लादेश से जुड़ी हुई है, यानी लगभग 856 किलोमीटर लंबी सीमा।
भारत-बांग्लादेश रिश्ते में तनाव
हालांकि भारत और बांग्लादेश के बीच हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं, पिछले कुछ समय से बांग्लादेश की राजनीति में बदलाव आए हैं। शेख हसीना की सरकार के बाद से बांग्लादेश के रुख में कुछ बदलाव आया है और भारत के प्रति एक विरोधी रुख भी देखने को मिला है। इस बदलाव के बाद बांग्लादेश के नेता भारत पर कई आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत ने हमेशा बांग्लादेश को मदद देने की कोशिश की है।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
अब सवाल यह उठता है कि बांग्लादेश का बकाया भुगतान न होने पर त्रिपुरा सरकार क्या कदम उठाएगी? मुख्यमंत्री माणिक साहा का कहना है कि फिलहाल कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो बिजली आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति भारत से हो रही है और इस आपूर्ति में किसी भी तरह की रुकावट से दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर पड़ सकता है।
भारत ने हमेशा एक अच्छे पड़ोसी की तरह बांग्लादेश की मदद की है, लेकिन अगर बांग्लादेश ने समय पर बिजली का भुगतान नहीं किया तो त्रिपुरा को इससे गंभीर परेशानी हो सकती है। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन अगर यह मुद्दा और बढ़ता है तो आगे कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
बांग्लादेश की स्थिति
बांग्लादेश की सरकार ने पिछले कुछ सालों में भारत के खिलाफ अपनी स्थिति को कड़ा किया है, लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते और सहयोग हैं। त्रिपुरा राज्य से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति इसका एक उदाहरण है। अगर बांग्लादेश समय पर भुगतान नहीं करता है, तो इसे लेकर दोनों देशों के रिश्तों में और तनाव आ सकता है।

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