बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एएमएम नसीरुद्दीन ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर सरकार या न्यायपालिका की तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता, तो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग आगामी चुनावों में भाग ले सकती है। उनका यह बयान उस समय सामने आया जब उन्होंने चटगांव में चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक की और चुनावी तैयारियों पर चर्चा की। चुनाव आयोग के इस बयान ने बांग्लादेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें पार्टी की भागीदारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
चुनाव आयोग पर कोई बाहरी दबाव नहीं – एएमएम नसीरुद्दीन
सीईसी एएमएम नसीरुद्दीन ने साफ किया कि चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र है और उस पर कोई बाहरी दबाव नहीं है। उन्होंने कहा, “हम निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” उनका यह बयान बांग्लादेश में चुनावों की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर सवाल उठाने वाले कुछ विपक्षी दलों के आरोपों के जवाब में था। नसीरुद्दीन ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग पर किसी भी तरह का बाहरी दबाव नहीं है और वह केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है।
चुनावों में अविश्वास और सुधार की आवश्यकता
चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ने पहले के चुनावों में मतदाता पंजीकरण में गिरावट और फर्जी मतदाताओं के मुद्दे को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के कारण मतदाता प्रक्रिया में लोगों का विश्वास कम हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव आयोग जल्द ही मतदाता सूची को अद्यतन करने की योजना बना रहा है, ताकि आगामी चुनावों में ऐसी समस्याएं न आएं।
नसीरुद्दीन ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग अगले छह महीनों में मतदाता सूची को अद्यतन कर देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष हों। उन्होंने बताया कि इस बार चुनाव पिछले चुनावों की तरह नहीं होंगे, और यह बदलाव तब आया है जब पांच अगस्त के बाद चुनावी मामलों पर राष्ट्रीय सहमति बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
राष्ट्रीय सहमति पर प्रगति
चुनाव आयोग के बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि 5 अगस्त के बाद चुनावी मामलों पर राष्ट्रीय सहमति बनाने में काफी प्रगति हुई है। यह बयान बांग्लादेश में चुनावी सुधारों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच संवाद के संदर्भ में दिया गया था। चुनाव आयोग ने यह आश्वासन दिया कि अगले चुनाव में चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से सुधारित और पारदर्शी होगी।
अवामी लीग और सरकार के बीच तनाव
बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी और सरकार के बीच तनाव लंबे समय से बना हुआ है। हसीना की पार्टी और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का कोई अंत नहीं नजर आता। इसके अलावा, विपक्षी पार्टियों द्वारा आरोप लगाया जाता है कि सरकार चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करती है और चुनावों में धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, चुनाव आयोग का यह बयान इस दिशा में कुछ सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताता है।
क्या अवामी लीग का चुनावों में हिस्सा लेना संभव है?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर सरकार या न्यायपालिका ने अवामी लीग पर चुनाव लड़ने से कोई प्रतिबंध नहीं लगाया, तो पार्टी चुनावों में भाग ले सकती है। हालांकि, यह अभी भी संदेहास्पद है कि क्या बांग्लादेश की सरकार या न्यायपालिका अवामी लीग के खिलाफ कोई प्रतिबंध लगाएगी, खासकर जब चुनावी माहौल पहले से ही तनावपूर्ण है।
इससे यह भी साफ होता है कि बांग्लादेश में आगामी चुनावों के लिए एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यदि पार्टी चुनावों में भाग लेती है, तो इससे राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं और चुनावी परिणाम पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।