सूर्यदेव की कृपा से हो सकते हैं मालामाल, बस करना होगा ये काम..

किसी ने भी भगवान को नहीं देखा है, लेकिन सूर्य और चंद्रमा को हर व्यक्ति ने देखा है. ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा दोनों ही ग्रह माने गए हैं, जबकि विज्ञान कहता है कि चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है.

विज्ञान भी मानता है कि सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है. सूर्य से ही धरती पर जीवन संभव है और इसीलिए वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की उपासना का चलन रहा है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार

शास्त्रों में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है. सभी ग्रहों को प्रसन्न करने के बजाय यदि केवल सूर्य की ही आराधना की जाए और नियमित रूप से सूर्य देव को जल चढ़ाया जाए, तो आपका भाग्योदय होने से कोई नहीं रोक सकता है. अगर आप नियमित रूप से सूर्यदेव को जल अर्पित नहीं कर पाते हैं, तो रविवार के दिन सूर्यदेव को जल चढ़ा सकते हैं.तो आईए जानते है सूर्य देव की कृपा दृष्टी

सूर्य की कृपा की पौराणिक कथा

एक बुढ़िया थी, उसके जीवन का नियम था कि प्रत्येक रविवार के दिन प्रातः स्नान कर, घर को गोबर से लीप कर शुद्ध करती थी. इसके बाद वह भोजन तैयार करती और भगवान सूर्य को भोग लगा कर उसके बाद भोजन करती थी. यह क्रिया वह लम्बे समय से करती चली आ रही थी.

ऐसा करने से उसका घर धन-धान्य से परिपूर्ण था. वह बुढ़िया अपने घर को शुद्ध करने के लिए पड़ोस में रहने वाली एक अन्य बुढ़िया की गाय का गोबर लाया करती थी. जिस घर से वह बुढ़िया गोबर लाती थी, वह विचार करने लगी कि यह मेरे गाय का ही गोबर क्यों लेने आती है. इसलिए वह अपनी गाय को घर के भीतर बांधने लगी.

गोबर न मिलने से बुढ़िया रविवार के दिन अपने घर को गोबर से लीप कर शुद्ध न कर सकी. इसके कारण न तो उसने भोजन बनाया और भोग भी नही लगाया. रात्रि होने पर वह भूखी ही सो गई. रात्रि में भगवान सूर्यदेव ने उसे सपने में आकर इसका कारण पूछा.

बुढ़िया ने जो कारण था, वह बता दिया. तब भगवान ने कहा कि माता तुम्हें सर्वकामना पूरक गाय देदे हैं, भगवान ने उसे वरदान में गाय, धन और पुत्र दिया. इस प्रकार मोक्ष का वरदान देकर सूर्यदेव अन्तर्ध्यान हो गए. प्रातः बुढ़िया की आंख खुलने पर उसने आंगन में अति सुंदर गाय और बछड़ा पाया. बुढ़िया बहुत प्रसन्न हो हुई. जब उसकी पड़ोसन ने घर के बाहर गाय और बछड़े को बंधा देखा तो द्वेष से जल उठी.

साथ ही देखा कि गाय ने सोने का गोबर किया है. उसने वह गोबर अपनी गाय के गोबर से बदल दिया. रोज ही ऐसा करने से बुढ़िया को इसकी खबर भी न लगी. भगवान ने देखा कि चालाक पड़ोसन बुढ़िया को ठग रही है तो उन्होंने जोर की आंधी चला दी. इससे बुढ़िया ने गाय को घर के अंदर बांध लिया. सुबह होने पर उसने गाय के सोने के गोबर को देखा, तो उसके आश्चर्य की कोई सीमा न रही. अब वह गाय को भीतर ही बांधने लगी.

उधर पड़ोसन ने ईर्ष्या से राजा को शिकायत कर दी कि बुढ़िया के पास राजाओं के योग्य गाय है, जो सोना देती है. राजा ने यह सुन अपने दूतों से गाय मंगवा ली. बुढ़िया ने वियोग में अखंड व्रत रखे रखा. उधर राजा का सारा महल गाय के गोबर से भर गया. सूर्य देव ने राजा को सपने में गाय लौटाने को कहा. प्रातः होते ही राजा ने ऐसा ही किया साथ ही पड़ोसन को उचित दण्ड दिया. राजा ने सभी नगर वासियों को व्रत रखने का निर्देश दिया.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles