प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संघर्ष के दिनों में चाय बेचा करते थे। ऐसे ही राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी एक समय दूध बेचा करते थे। उनका जीवन कृषि से शुरू हुआ। भजनलाल ने चुनौतीपूर्ण हालात में ही पढ़ाई के साथ राजनीति के जरिए मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा किया।
बाइक के जरिए सरपंच से लेकर सीएम पद तक का सफर तय किया। हालांकि सब इतना आसान नहीं था, लेकिन संगठन में हमेशा मजबूत पकड़ रखने का फायदा उन्हें मिलता रहा। यही कारण था कि वे वर्ष 2016 से अब तक प्रदेश महामंत्री बने रहे। चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर के भजनलाल पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाते थे। वे पिता किशनस्वरूप शर्मा के इकलौते पुत्र हैं।
भजनलाल का पैतृक गांव नदबई विधानसभा क्षेत्र का अटारी है। उनका राजनीतिक सफर वर्ष 2000 में सरपंच पद से शुरू हुआ। वर्ष 2003 में नदबई विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ा, लेकिन हार हुई। उनके करीबी बताते हैं कि भजनलाल साधारण परिवार से निकले हैं। कुछ समय दूध बेचने का कार्य भी किया। गांव से निकलने के बाद वे भरतपुर में रिश्तेदार रामेश्वर ठेकेदार के यहां कृष्णा नगर हाउसिंग बोर्ड स्थित आवास पर किराए पर रहते थे। जहां उन्होंने कुछ समय गो पालन किया था।
भजनलाल शर्मा के करीबी बताते हैं कि उनका जीवन हमेशा सादगी भरा रहा। वे जब वर्ष 2009 में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष बने तो उस समय उन्होंने पहला चौपहिया वाहन खरीदा था। इससे पहले तक वे बाइक से ही सफर किया करते थे। क्योंकि उनका पूरा परिवार कृषि पर ही निर्भर था। कृषि भूमि भी इतनी ज्यादा नहीं थी कि इससे पूरे परिवार का आजीविका का चलाई जा सके।