1 जुलाई से लागू होंगे भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम; लेंगे आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह

नई दिल्ली। आपराधिक न्याय संबंधी भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 1 जुलाई 2024 से लागू किया जाएगा। इन तीनों को केंद्र की मोदी सरकार ने संसद से पास कराया है। लागू होने के बाद भारतीय न्याय संहिता को आईपीसी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को एविडेंस एक्ट की जगह लागू किया जाएगा। लागू होने के बाद देशभर में जो भी अपराध होंगे, उनपर इन्हीं के आधार पर पुलिस एफआईआर लिखेगी और संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई करेगी।

इन तीनों संहिता को संसद में पास करने के दौरान काफी चर्चा हुई थी। उस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लाने की वजह बताई थी। अमित शाह ने बताया था कि देश में अब तक अंग्रेजों के शासन के वक्त बनी आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट है। इनके जरिए अंग्रेजों ने भारत में दंड प्रधान व्यवस्था बनाकर अपनी हुकूमत चलाने की कोशिश की थी। गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि मोदी सरकार अब दंड प्रधान व्यवस्था की जगह न्याय प्रधान व्यवस्था बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को पहले ही मोदी सरकार ने संसद में पेश किया था। वहां से तीनों में कुछ बदलावों की सिफारिश की गई थी। जिसके बाद मोदी सरकार ने संबंधित तीनों बिल वापस लेकर इनमें संशोधन कर फिर से संसद के सामने पेश किया था और फिर वहां से इनको पास कराया था। इन तीनों के जुलाई से लागू होने पर अंग्रेजी न्याय संबंधी व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो जाएगी। तीनों ही संहिता में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं। जो पहले आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में नहीं थे।

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