हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक महत्वपूर्ण फोन बातचीत हुई, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। यह बातचीत 26 अगस्त को हुई थी, लेकिन तब इस बातचीत की बांग्लादेश से संबंधित जानकारी सामने नहीं आई थी। अब, व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने पुष्टि की है कि इस बातचीत में बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा पर चर्चा की गई थी।
जॉन किर्बी के अनुसार, पीएम मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर गंभीर चिंता जताई। मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और वहां की स्थिति में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। बाइडन ने भी बांग्लादेश में लोगों की सुरक्षा और लोकतांत्रिक संस्थानों की स्थिति पर चिंता जताई।
इससे पहले भी, पीएम मोदी ने सोशल मीडिया और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के माध्यम से बांग्लादेश में हालात पर चिंता व्यक्त की थी। मोदी का कहना था कि बांग्लादेश में सामान्य स्थिति की बहाली और विशेष रूप से हिंदुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं में वृद्धि हुई है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के 52 जिलों में हिंदुओं पर हमलों की खबरें आई हैं। जातीय हिंदू महाजोट और हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन एकता परिषद जैसी संगठनों ने इन हमलों की पुष्टि की है और एक अलग अल्पसंख्यक आयोग के गठन की मांग की है। इन संगठनों का आरोप है कि सरकार ने इन घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।
भारत और अमेरिका के बीच इस मुद्दे पर बढ़ते सहयोग से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश मिलकर बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बना सकते हैं। यह सहयोग बांग्लादेश में स्थितियों में सुधार लाने में सहायक हो सकता है।
इस प्रकार, भारत और अमेरिका की संयुक्त चिंता और प्रयास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकते हैं। दोनों देशों की सरकारें मिलकर इस मुद्दे पर काम कर रही हैं, जिससे बांग्लादेश में हालात में सुधार की उम्मीद की जा रही है।