बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट अब तेज हो गई है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इस बार बिहार में मुख्यमंत्री बनने के लिए करीब 5 से ज्यादा नेता मैदान में हैं। इनमें से कुछ तो पहले भी चुनावी दावेदारी का हिस्सा रहे हैं, जबकि कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने पहले कभी मुख्यमंत्री पद का ख्वाब नहीं देखा था, लेकिन अब वो भी इस रेस में शामिल हो गए हैं। तो आइए जानते हैं बिहार के उन सभी नेताओं के बारे में, जो मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं और अपनी अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए रणनीतियों पर काम कर रहे हैं।
1. नीतीश कुमार – सबसे लंबे समय से मुख्यमंत्री पद के दावेदार
बिहार में मुख्यमंत्री पद पर सबसे लंबे समय से काबिज रहे नीतीश कुमार का नाम इस सूची में सबसे पहले आता है। नीतीश कुमार करीब 18 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं और एक बार फिर से उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है। उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने उन्हें एनडीए (NDA) गठबंधन के चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया है।
नीतीश कुमार ने 2004 से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है और वे विधानपरिषद के जरिए मुख्यमंत्री बने रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, तब तेजस्वी यादव ने उन्हें चुनौती दी थी कि वे भी चुनावी मैदान में उतरें। लेकिन फिर भी, नीतीश की लोकप्रियता और बिहार में जेडीयू का मजबूत जनाधार, उन्हें इस बार भी मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में बनाए रखता है।
उनकी पार्टी के पास अब 12 लोकसभा सांसद और 45 विधायक हैं। ऐसे में नीतीश कुमार का चुनावी खेल पूरे बिहार में बहुत अहमियत रखता है।
2. तेजस्वी यादव – आरजेडी के नए चेहरा, इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार
अगर नीतीश कुमार इस रेस में सबसे सीनियर हैं, तो तेजस्वी यादव इस बार पूरी ताकत के साथ मुख्यमंत्री बनने के लिए मैदान में उतरे हैं। इंडिया गठबंधन से मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव की ये दूसरी बार दावेदारी है। वे पहले भी बिहार के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं और आरजेडी के प्रमुख लालू यादव के बेटे हैं।
तेजस्वी यादव के पास अब आरजेडी का मजबूत समर्थन है, जिसके पास 75 विधायक और 4 लोकसभा सांसद हैं। 2020 के चुनाव में उन्हें पहली बार मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर प्रस्तुत किया गया था। अब 2025 के चुनाव में तेजस्वी यादव अपनी पार्टी को बिहार की सत्ता दिलाने के लिए सक्रिय हैं और हर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं।
3. पुष्पम प्रिया – अपनी पार्टी की तहरीक के साथ मैदान में
पुष्पम प्रिया, जो ‘द प्लुरल्स पार्टी’ की प्रमुख हैं, भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हो गई हैं। वे 2020 में भी मुख्यमंत्री बनने के दावेदार थीं और तब उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री घोषित करते हुए अखबारों में विज्ञापन भी प्रकाशित किया था। हालांकि, 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी और पुष्पम प्रिया की जमानत भी जब्त हो गई थी।
इस बार पुष्पम प्रिया फिर से अपनी पार्टी को ताकतवर बनाने में जुटी हैं। उनकी पार्टी इस बार सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पुष्पम का मुख्य जोर बिहार में बदलाव की तहरीक को आगे बढ़ाने पर है और वे इस बार हर स्तर पर अपना दबदबा बनाने के लिए सक्रिय हैं।
4. प्रशांत किशोर – जनसुराज पार्टी के साथ नया चेहरा
प्रशांत किशोर, जो कि चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते हैं, इस बार बिहार की राजनीति में एक नई दिशा देने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हैं। उन्होंने 2022 में बिहार में अपनी ‘जनसुराज पार्टी’ की शुरुआत की थी और अब इस पार्टी के जरिए बिहार की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनावी मैदान में उतरने का मन बना लिया है।
प्रशांत किशोर ने अपने चुनावी अभियान में खास ध्यान जाति, महिलाओं और युवाओं को जोड़ने पर केंद्रित किया है। उनका उद्देश्य बिहार की राजनीति को नए सिरे से बदलना है और उन्हें उम्मीद है कि उनकी पार्टी बिहार की सत्ता पर काबिज हो सकती है।
5. पप्पू यादव – कांग्रेस के साथ अपनी दावेदारी को मजबूत करना चाहते हैं
पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव की भी इस चुनाव में मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश है। पप्पू यादव पहले भी 2015 में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे थे, लेकिन उस समय लालू यादव ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था। फिर पप्पू ने अपनी खुद की पार्टी बनाई और बिहार के चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
अब पप्पू यादव ने अपनी दावेदारी को कांग्रेस के साथ जोड़ लिया है और वह चाहते हैं कि कांग्रेस बिहार चुनाव अकेले लड़े और पप्पू को मुख्यमंत्री पद पर बिठाए। हालांकि, यह दो चीजों पर निर्भर करेगा। पहला, क्या कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी और दूसरा, क्या पप्पू यादव जनता का विश्वास फिर से जीत पाएंगे।
6. पारस और जीतन राम मांझी – किसका खेल चलेगा?
पशुपति पारस और जीतन राम मांझी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की सूची में हैं। जीतन राम मांझी पहले भी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, और अब वे एनडीए के साथ हैं। वहीं, पारस केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और अकेले चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
दोनों नेताओं की दावेदारी से ज्यादा उनकी नजरें बिहार में चुनाव के बाद बनने वाली स्थिति पर हैं। वे जानते हैं कि चुनावी नतीजों के बाद ही असल ताकत का पता चलेगा और तब कोई भी गठबंधन या स्थिति उन्हें मुख्यमंत्री पद तक पहुंचा सकती है।