पटना: बिहार में जीत का सूखा खत्म करने के लिए कांग्रेस जातिवाद का दांव चल रही है. कांग्रेस अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू और शिव भक्त तो पहले ही बता चुकी है. अब अपनी बिहार टीम के एक-एक सदस्य की जाति बताने में भी पीछे नहीं हट रही है. राजधानी पटना में लगा होर्डिंग से तो ये लग रहा है कि कांग्रेस जातिवादी राजनीति में हद से ज्यादा आगे निकल गई है.
राहुल ब्राह्मण, शक्ति सिंह राजपूत
पटना में लगे कांग्रेस के इस होर्डिंग में शामिल नेताओं की जाति बताई गई है. खास बात यह है कि इन नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया गया है. कांग्रेस पार्टी के इन पदाधिकारियों की तस्वीर के साथ वे किस जाति या समुदाय से आते हैं इसका जिक्र किया गया है. खास बात ये है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की तस्वीर के साथ भी ब्राह्मण समुदाय लिखा हुआ है. गुजरात से विधायक अल्पेश ठाकोर की तस्वीर के साथ पिछड़ा समुदाय और शक्ति सिंह गोहिल की तस्वीर के साथ राजपूत समाज लिखा हुआ है.
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इस बार जाति के सहारे कांग्रेस
इस होर्डिंग के सामने आने के बाद आरोप लग रहे हैं कि कांग्रेस खुल्लमखुल्ला जाति और समुदाय की सियासत कर रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पहले ही कह चुके हैं कि राहुल गांधी में ब्राह्मण का डीएनए है. जनेऊधारी हिंदू, शिवभक्त, ब्राह्मण डीएनए और फिर नेताओं की जातिगत पहचान उजागर कर कांग्रेस अपने ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ से आगे जाकर जातिवाद की सियासत करके वोटरों को लुभाना चाहती है.
ऐसे बढ़ेगी ‘सामाजिक समरसता’ ?
कांग्रेस ने अपने इस होर्डिंग में सामाजिक समरसता की मिसाल पेश करने वाला बताया है और राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार जताया है. हालांकि इस तरह की होर्डिंग से सामाजिक समरसता की बजाए जातीय गोलबंदी ही तेज होगी. इस होर्डिंग से साफ है कि कांग्रेस लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जातीय समीकरण बिठाने की कोशिश में है. उसने इस पर अभी से काम करना शुरू भी कर दिया है.
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राजनीति में जाति, धर्म और मजहब से ऊपर उठकर लोगों की सेवा की जाती है. चुने हुए जनप्रतिनिधि से उम्मीद की जाती है कि वो बिना किसी भेदभाव और पूर्वाग्रह के जनता और क्षेत्र का विकास करेंगे. हैरानी तब होती है जब नेता वोट बैंक की राजनीति के लिए खुद अपनी जाति और समुदाय बताने लगाते हैं वो भी खुल्लमखुल्ला. अब तक आरोप लगता रहा है कि क्षेत्रीय पार्टियां जातिवाद की सियासत करती हैं. अब लगता है कि जाति के इस खेल का शिकार देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस भी हो गई है. कहा तो ये भी जा सकता है कि कांग्रेस ने जातिवाद के इस खेल में हर पार्टी को पीछे छोड़ दिया है.