पीएम मोदी की सरकार 23 जुलाई को अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है। इससे टीक पहले बिहार को बड़ा झटका लगा है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में कहा है कि अंतर-मंत्रालयी समूह की 2012 की रिपोर्ट के आधार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। जनता दल यूनाइटेड के नेता राम पिरित मोंडल ने वित्त राज्य मंत्री से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो विस्तार में इसकी जानकारी दें। अगर नहीं दिया जाता है तो इसकी वजह बताएं। पंकज चौधरी ने इसी के जवाब में लिखा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
वित्त मंत्री ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा न देने की वजह लिखित जवाब में बताई। उन्होंने कहा कि अतीत में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने योजना सहायता के लिए कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया था, जिनकी कई विशेषताएं ऐसी थीं, जिनके लिए विशेष विचार की आवश्यकता थी। बिहार के मामले में परिस्थितियां ऐसी नहीं हैं कि उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। इस वजह से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
The Special Category Status for plan assistance was granted in the past by the National Development Council (NDC) to some States that were characterized by a number of features necessitating special consideration.
The decision was taken based on an integrated consideration of… pic.twitter.com/PbPDiJjLyz
— ANI (@ANI) July 22, 2024
कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के लिखित जवाब में कहा गया है कि विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने के लिए पांच परिस्थितियां हैं।
1. पहाड़ी और कठिन इलाका
2. कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी आबादी की बड़ी संख्या
3.पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर अहम रणनीति स्थिति
4. आर्थिक पिछड़ापन और मूलभूत सुविधाओं की कमी
5. राज्य में वित्त की अव्यवहार्य प्रकृति
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के लिखित जवाब में कहा गया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा न देने का फैसला इन पांचों कारकों को ध्यान में रखते हुए राज्य की विशिष्ट स्थिति पर अलग से विचार करने के बाद लिया गया। इससे पहले, विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने विचार किया था, जिसने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। आईएमजी इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है।