बिहार में इस साल के आखिरी महीनों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। और इस बार के चुनाव में बीजेपी राष्ट्रवाद के झंडे को लहराते हुए मैदान में उतरने की पूरी तैयारी में है। पार्टी का सबसे बड़ा हथियार होगा ऑपरेशन सिंदूर, जिसकी कामयाबी को बीजेपी बिहार की जनता के सामने जोर-शोर से रखेगी। साथ ही, सामाजिक न्याय और जाति गणना का मुद्दा भी बीजेपी के लिए वोट जुटाने का बड़ा जरिया बनेगा।
ऑपरेशन सिंदूर: बीजेपी का राष्ट्रवाद कार्ड
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इसके बाद 24 अप्रैल को बिहार की धरती से ही पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि आतंकियों को ऐसी सजा दी जाएगी, जो उनकी सोच से भी बाहर होगी। और फिर शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर। 6-7 मई की रात को भारतीय सेना ने न सिर्फ पीओके बल्कि पाकिस्तान के अंदर घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकी ढेर हुए।
पाकिस्तान ने जवाबी हमले की कोशिश की, लेकिन भारत ने उसे धूल चटा दी। भारत के ताबड़तोड़ हमलों में पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह हो गए। डर के मारे पाकिस्तान ने अमेरिका से गुहार लगाई और आखिरकार भारत की शर्तों पर सीजफायर के लिए राजी होना पड़ा। बीजेपी अब इस ऑपरेशन की कामयाबी को बिहार की जनता के सामने लेकर जाएगी। अलग-अलग कार्यक्रमों और कैंपेन के जरिए पार्टी वोटरों को बताएगी कि कैसे पीएम मोदी के मजबूत नेतृत्व में भारत ने आतंकियों को सबक सिखाया।
जाति गणना: सामाजिक न्याय का नया हथियार
राष्ट्रवाद के साथ-साथ बीजेपी सामाजिक न्याय के मुद्दे पर भी वोट मांगने की रणनीति बना रही है। मोदी सरकार के जाति गणना कराने के फैसले को बीजेपी सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा कदम बताएगी। पार्टी का मानना है कि इस फैसले ने बिहार में आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन से जाति गणना का मुद्दा छीन लिया है।
बीजेपी अब विपक्ष के दोहरे रवैये को जनता के सामने लाने की तैयारी में है। इसके लिए एनडीए ने बिहार में जाति-आधारित बैठकों का प्लान बनाया है। इन बैठकों में नेताओं को बताया जाएगा कि कैसे कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति गणना के नाम पर सिर्फ सियासत की, जबकि बीजेपी-एनडीए ने इस पर ठोस कदम उठाया। फिर ये नेता अपनी-अपनी जाति के वोटरों के बीच जाकर ये बात पहुंचाएंगे।
चुनावी रणनीति: ज्यादा से ज्यादा एससी, ओबीसी, ईबीसी और महादलित उम्मीदवार
इस बार बिहार में एनडीए की रणनीति है कि वो एससी, ईबीसी, ओबीसी और महादलित समुदाय से ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों को टिकट दे। इसके लिए 243 विधानसभा सीटों की जातिगत मैपिंग भी की जा रही है, ताकि हर सीट पर सही उम्मीदवार उतारा जा सके।
बीजेपी का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी और जाति गणना जैसे मुद्दों के दम पर वो बिहार की जनता का दिल जीत लेगी। अब देखना ये है कि क्या ये रणनीति बीजेपी को बिहार में सत्ता की चाबी दिला पाएगी?