बिहार की राजनीति में अचानक से गर्माहट आ गई है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इस मुलाकात के बाद अब लालू प्रसाद यादव ने भी एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जो 4 सितंबर को पटना में आयोजित होगी। इस बैठक में आरजेडी के विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों और विधानसभा चुनाव लड़ चुके पूर्व प्रत्याशियों को बुलाया गया है।
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच बातचीत का मुख्य एजेंडा सूचना आयुक्त की नियुक्ति था। दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री सचिवालय में चर्चा की, जिसमें 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श हुआ। तेजस्वी यादव ने कहा कि इस मामले को कोर्ट में रखा गया है और सरकार को अपनी बात कोर्ट में ही रखनी चाहिए।
लालू यादव की हाल की सिंगापुर यात्रा के बाद यह बैठक बुलाई गई है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह आभार यात्रा की तैयारी का हिस्सा हो सकती है। तेजस्वी यादव की आभार यात्रा 10 सितंबर से शुरू होनी है और इसे सफल बनाने के लिए लालू यादव पार्टी के संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच यह मुलाकात केवल सूचना आयुक्त की नियुक्ति तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसके पीछे सियासी रणनीति और भविष्य के संभावित बदलाव भी छिपे हुए हो सकते हैं। 2022 में इन दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद एनडीए से महागठबंधन की ओर पलटे जाने की घटना को देखते हुए, यह मुलाकात भी नए सियासी समीकरण की ओर इशारा कर सकती है। बिहार की राजनीति में इस समय हो रहे बदलाव भविष्य की राजनीति की दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।