बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सियासी हलचल तेज होती जा रही है। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से पलटी मारेंगे और अपनी पार्टी जेडीयू का रुख बदलने का फैसला करेंगे। इस सबकी शुरुआत तब हुई जब लालू यादव ने हाल ही में बयान दिया कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं और वह उनके पुराने रुख को माफ करने के लिए तैयार हैं। इस बयान से यह अटकलें शुरू हो गईं कि क्या नीतीश कुमार और लालू यादव फिर से हाथ मिलाएंगे?
लालू का बयान और नीतीश के साथ गठबंधन की संभावना
लालू यादव का बयान 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले एक सियासी उलटफेर का संकेत दे सकता है। लालू ने यह भी कहा था कि वह नीतीश कुमार को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं और उनके लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं। यह बयान बिहार की राजनीति में हलचल मचा गया है। इसमें यह चर्चा भी शुरू हो गई कि क्या नीतीश कुमार एनडीए से नाता तोड़कर फिर से महागठबंधन के साथ जुड़ सकते हैं।
खास बात यह है कि लालू यादव का बयान एक सॉफ्ट संकेत था, जिसमें उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की पुरानी गलतियों को माफ किया जा सकता है। इस बयान से यह स्पष्ट हुआ कि लालू यादव नीतीश कुमार को फिर से अपने खेमे में देख सकते हैं।
15 जनवरी के बाद बढ़ीं अटकलबाजियां
खबरें आ रही हैं कि खरमास खत्म होने के बाद यानी 15 जनवरी के बाद नीतीश कुमार एनडीए से नाता तोड़ सकते हैं। इसको लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलबाजियां तेज हो गई हैं। बिहार की राजनीति में यह किसी बड़े उलटफेर से कम नहीं होगा। क्या नीतीश कुमार इस बार अपनी राजनीति के अगले कदम के लिए फिर से महागठबंधन की ओर रुख करेंगे? यह सवाल अब ज्यादा चर्चा में है।
चिराग पासवान के दही चूड़ा भोज में पहुंचे नीतीश कुमार
सियासी हलचल को और हवा तब मिली, जब नीतीश कुमार चिराग पासवान के दही चूड़ा भोज में शामिल हुए। नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में समय से पहले पहुंचे और चिराग की अनुपस्थिति में स्व. रामविलास पासवान की तस्वीर को नमन करके वहां से चले गए। हालांकि चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के इस कदम को सियासी संदेश नहीं समझा और इस पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का आना अपने आप में एक बड़ी बात है और इसे राजनीति से जोड़ने की जरूरत नहीं है।
चिराग ने आगे कहा कि उनका मानना है कि बिहार में डबल इंजन की सरकार फिर से बनेगी, जहां एक तरफ केंद्र में एनडीए की सरकार होगी और दूसरी तरफ बिहार में भी एनडीए की सरकार चुनी जाएगी। चिराग के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखा है, और बिहार भी इस विकास के रास्ते पर होगा।
लालू के परिवार में बवाल
नीतीश कुमार के लिए लालू परिवार से लगातार संकेत आ रहे हैं, लेकिन इस बार लालू के परिवार में खुद भी खींचतान शुरू हो गई है। लालू यादव की बेटी मीसा भारती ने कहा कि नीतीश कुमार उनके परिवार के सदस्य हैं और उनके लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता और जब भी नीतीश कुमार चाहें, उनका स्वागत किया जाएगा। मीसा के इस बयान से यह संदेश गया कि अगर नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में आना चाहते हैं, तो लालू परिवार का पूरा समर्थन उनके साथ होगा।
वहीं, लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। तेजप्रताप ने कहा कि नीतीश कुमार को उनके खेमे में स्वागत नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि वह नीतीश कुमार की एंट्री को लेकर पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। उनका कहना था कि अब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो चुका है, और अब बिहार की सियासत में सूर्य कहां से उगेगा, यह देखना होगा।
बीजेपी का हमला
बीजेपी ने भी इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठी। बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा कि जो लोग “खेला” करेंगे, वह झमेला में फसेंगे। इस बयान से यह स्पष्ट हुआ कि बीजेपी की ओर से नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने की संभावनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जा रही है। हालांकि, बीजेपी इस मामले में पूरी सतर्कता बरत रही है और वह किसी भी तरह की सियासी घमासान को भड़कने नहीं देना चाहती है।
बिहार की सियासत का अगला कदम
बिहार की राजनीति में इस समय बेहद दिलचस्प स्थिति है। एक ओर जहां लालू यादव और मीसा भारती नीतीश कुमार के लिए दरवाजे खोल रहे हैं, वहीं तेजप्रताप यादव उनका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किस रुख को अपनाते हैं। क्या वह एनडीए से नाता तोड़कर फिर से महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे, या फिर अपना रास्ता अलग बनाएंगे?