नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाइक सवार की दिल का दौरा पड़ने से मौत एक्सीडेंट के दायरे में नहीं आती। दुर्घटना बीमा के तहत क्लेम उसी स्थिति में मिल सकता है जब व्यक्ति की मौत किसी दुर्घटना के कारण हुई हो। जस्टिस धनंजय चंद्रचूड और हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि बीमे की धनराशि उसी सूरत में मिल सकती है, जब बीमाधारक का नॉमिनी यह साबित करने में सफल हो जाए कि मृत्यु कारण सिर्फ दुर्घटना थी। सुप्रीम कोर्ट ने दुर्ग के जिला उपभोक्ता मंच और छत्तीसगढ़ की राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा अलका शुक्ला को क्लेम की राशि देने के आदेश को गलत बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्ला की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। शुक्ला के पति ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से तीन पॉलिसी खरीदी थीं। बीमा गोल्ड पॉलिसी, एलआईसी न्यू बीमा गोल्ड पॉलिसी और बीस वर्षीय मनी बैक पॉलिसी में दुर्घटना लाभ का भी प्रावधान था। तीनों बीमा पॉलिसी में दुर्घटना लाभ की शतरे का साफतौर पर उल्लेख किया गया था। इसमें कहा गया था कि यदि बीमाधारक किसी बाहरी कारण से शारीरिक रूप से जख्मी होता है और घायल होने के 180 दिन के अंदर उसकी मौत हो जाती है तो उसे एक्सीडेंट बेनेफिट मिलेगा।
तीन मार्च, 2012 को शुक्ला जी को मोटरसाइकिल चलाते समय अचानक दिल में दर्द उठा। भिलाई के चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में उनकी मौत हो गई। उनकी विधवा ने मई 2013 में दुर्घटना लाभ के लिए जिला उपभोक्ता मंच में दावा दायर किया। उपभोक्ता मंच ने तीनों बीमा पॉलिसियों पर छह प्रतिशत ब्याज सहित दुर्घटना लाभ देने का आदेश एलआईसी को दिया। राज्य आयोग ने इसे सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना बीमा का दावा स्वीकार करते समय सबसे पहले यह देखना होगा कि बीमाधारक को शारीरिक चोट पहुंची या नहीं।
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शारीरिक चोट और मृत्यु में सीधा संबंध स्थापित होने पर ही क्लेम स्वीकार किया जा सकता है। दूसरे, दुर्घटना किसी बाहरी कारण से हुई हो। सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण देकर कहा कि नृत्य करते समय डांसर का अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन दुर्घटना की श्रेणी में नहीं आता। नृत्यांगना की मौत के लिए कोई बाहरी तत्व जिम्मेवार नहीं है। इसलिए एक्सीडेंट क्लेम का निर्धारण करते समय मृत्यु का कारण जानना परम आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीमाधारक के शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ और न ही पुलिस में सड़क दुर्घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
बीमाधारक को दो अस्पतालों में ले जाया गया जहां दोनों बार डाक्टरों ने सिर्फ हार्ट अटैक का जिक्र अपनी चिकित्सा रिपोर्ट में किया है। चिकित्सा रिपोर्ट में शारीरिक चोट तो दूर, शरीर में खरोंच आने का जिक्र नहीं है। इससे साफ है कि शुक्ला की मौत बाइक से गिरने से नहीं हुई। मेडिकल रिपोर्ट में यह भी नहीं गहा गया है कि बाइक से गिरने पर शख्स की हालत और खराब हो गई हो। मेडिकल रिपोर्ट से साफ है कि शुक्ला की मृत्यु कारण हार्ट अटैक था, बाइक से गिरने पर उनकी मौत नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, आस्ट्रेलिया और सिंगापुर के इंश्यारेंस क्लेम पर दिए गए कई फैसलों का हवाला देकर कहा कि मौत के लिए बाहरी कारण के अभाव में बीमा दावा मंजूर नहीं किया जा सकता। नॉमिनी को मृत्यु का सामान्य दावा मिलेगा। दुर्घटना का अतिरिक्त दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी के अप्रैल 2016 में दिए गए फैसले को सही ठहराया।