इसके बाद योगी अदियानाथ को नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के परिसर में 15 फरवरी सन् 1994 को मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मठ का उत्तराधिकारी चुन लिया गया।
इसके बाद महन्त अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है।
अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर योगी 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे, उस समय उनकी उम्र मात्र 26 साल की थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा बस आगे बढ़ते गए। साल 1998 से शुरू हुआ सांसद बनने का सिलसिला चलता गया, साल 1999, 2004, 2009 व 2014 में भी सांसद चुने गए।