दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की है और अब पार्टी की नजरें दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव पर हैं। इस साल अप्रैल में एमसीडी के मेयर का चुनाव होना है और बीजेपी के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुकाबला है। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में बीजेपी की रणनीति क्या होगी, और कैसे पार्टी बिना बहुमत के भी मेयर की कुर्सी पर काबिज हो सकती है, आइए समझते हैं।
दिल्ली नगर निगम का गणित
दिल्ली नगर निगम में कुल 250 पार्षद होते हैं। इसके अलावा, दिल्ली के सात सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और दिल्ली के 14 विधायक भी मेयर के चुनाव में मतदान करते हैं। अब देखते हैं कि इन आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी की स्थिति क्या है और कैसे वह मेयर का चुनाव जीतने की तैयारी कर रही है।
फिलहाल, बीजेपी के पास 120 पार्षद हैं, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के पास 122 पार्षद हैं। हालांकि, बीजेपी के पास सात सांसद और 14 विधायक भी हैं, जो उनके पक्ष में वोट करेंगे। इस तरह से बीजेपी के पास कुल 121 वोट हैं, जो उन्हें मेयर के चुनाव में मदद कर सकते हैं।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बढ़त
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 8 पार्षदों को उम्मीदवार बनाकर उन्हें विधानसभा में भेजा था। ये सभी पार्षद चुनाव जीतकर दिल्ली विधानसभा में पहुंचे हैं। इन 8 पार्षदों में गजेंद्र दराल, नीलम पहलवान, रविंदर सिंह नेगी, उमंग बजाज, चंदन चौधरी, रेखा गुप्ता, पूनम शर्मा और शिखा राय शामिल हैं।
इसके अलावा, बीजेपी के मनोनीत पार्षद राजकुमार भाटिया ने भी विधानसभा चुनाव जीत लिया है, लेकिन मनोनीत पार्षद को मेयर के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं होता। उनका वोट सिर्फ जोन के चुनाव में ही काउंट किया जा सकता है।
उपचुनाव और रिक्त सीटों का मुद्दा
वर्तमान में दिल्ली नगर निगम में 12 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं। इन सीटों पर चुनाव के बाद ही स्थिति पूरी तरह से साफ होगी। इसके अलावा, एक मनोनयन भी किया जाना है, जिसे उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाएगा। इन रिक्त सीटों को जोड़कर, बीजेपी और आप के पार्षदों की संख्या में बदलाव हो सकता है।
बीजेपी का मेयर बनाने का गेम प्लान
बीजेपी के पास वर्तमान में 112 पार्षद हैं, जबकि आप के पास 119 पार्षद हैं। नवंबर 2024 में हुए पिछले मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी के महेश खिंची ने बीजेपी के उम्मीदवार किशन लाल को सिर्फ तीन वोटों से हराया था। उस समय मेयर के चुनाव में कुल 263 वोट पड़े थे, जिनमें से महेश खिंची को 133 वोट मिले थे और किशन लाल को 130 वोट मिले थे। इस चुनाव में बीजेपी को 113 पार्षदों का समर्थन था, साथ ही एक विधायक और सात सांसदों का समर्थन भी था, जो कुल 121 वोट बनाते थे।
अगर आगामी मेयर चुनाव में बीजेपी को और अधिक समर्थन मिल जाता है, तो यह उसके लिए बड़ी कामयाबी हो सकती है। बीजेपी के पास 14 विधायक और सात सांसदों का समर्थन है, और इस बार बीजेपी की स्थिति और मजबूत दिखाई दे रही है।
अविश्वास प्रस्ताव की संभावना
अगर बीजेपी अपने मेयर को चुनाव में जीत दिलाने में कामयाब हो जाती है, तो इसके बाद बीजेपी की ओर से मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। इसका मतलब है कि बीजेपी इस चुनाव को एक बड़ी राजनीतिक रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। यह मामला दिल्ली की राजनीति में दिलचस्प मोड़ ला सकता है।
बीजेपी की ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार
दिल्ली में बीजेपी की जीत और एमसीडी मेयर चुनाव के बाद, पार्टी पूरी तरह से ‘ट्रिपल इंजन’ की सरकार की ओर बढ़ सकती है। इसमें दिल्ली सरकार, केंद्रीय सरकार और नगर निगम में बीजेपी का कब्जा होगा। इस तरह से पार्टी की स्थिति काफी मजबूत हो सकती है। बीजेपी का गेम प्लान इस दिशा में आगे बढ़ रहा है, और यह आगामी चुनावों में अहम साबित हो सकता है।
क्या बीजेपी मचाएगी धमाल?
दिल्ली में बीजेपी के पास अभी कई ताकतवर आंकड़े हैं, और पार्टी ने अपने रणनीतिक कदमों को लेकर पूरी तैयारी कर रखी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी एमसीडी मेयर चुनाव में बीजेपी अपनी ताकत को किस तरह से साबित करती है। खासकर ऐसे समय में जब वॉर्डों के उपचुनाव और मनोनयन की प्रक्रिया भी चल रही है, पार्टी का गेम प्लान और सटीक हो सकता है।