जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में आतंकवाद पर दिए अपने बयान में सवाल उठाया कि क्या आतंकी घटनाओं के पीछे कोई विदेशी एजेंसी तो नहीं है। उनके इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखा पलटवार किया है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला को यह समझना चाहिए कि शायद वह उसी शक्तियों के साथ गलबहियां कर रहे थे, जो अब देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रही हैं।
फारूक अब्दुल्ला का बयान
फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई आतंकी घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि इन घटनाओं की गहराई से जांच की जाए। उन्होंने यह भी कहा, “क्या यह वो लोग हैं जो इस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं? हमें यह जानने की आवश्यकता है कि आतंकी वारदातों के पीछे किसका हाथ है।” उनके इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी है।
बीजेपी का प्रतिक्रिया
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “फारूक अब्दुल्ला का यह बयान स्पष्ट करता है कि अब उन्हें यह एहसास हो रहा है कि बाहरी शक्तियां देश में अस्थिरता लाने का प्रयास कर रही हैं। उमर अब्दुल्ला को चाहिए कि वे मोदी सरकार का सहयोग करें और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एकजुट होकर काम करें।” उन्होंने यह भी कहा कि अब फारूक अब्दुल्ला को यह समझ आ रहा है कि राष्ट्रविरोधी शक्तियों का सामना कितनी गंभीरता से करना चाहिए।
ओवैसी का सवाल
इस बीच, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कश्मीर का कानून और व्यवस्था का मामला लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथ में है, और इस पूरी स्थिति की जिम्मेदारी बीजेपी पर आती है। ओवैसी ने पूछा, “पाकिस्तान से आतंकी आ रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार उन्हें रोकने में नाकाम क्यों है? गरीब मजदूरों को आतंकियों द्वारा गोली मारी जा रही है। मोदी सरकार आखिर क्या कर रही है?”
सियासी सरगर्मियां
इस तरह के बयानों से यह स्पष्ट हो रहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुद्दा केवल सुरक्षा से संबंधित नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक चारा भी बन गया है। राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। इस सियासी खेल में दोनों पक्षों का जोरदार टकराव देखा जा रहा है, जो आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकता है।