हरियाणा विधानसभा चुनाव के मौसम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा प्रस्तुत किया है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ऐलान किया और कहा कि वे सीएम पद के लिए उम्मीदवारी का दावा कर रहे हैं। अनिल विज ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पर अंतिम निर्णय पार्टी के हाई कमान द्वारा लिया जाएगा। बीजेपी ने उन्हें अंबाला कैंट से उम्मीदवार बनाया है, लेकिन अभी तक पार्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की है।
अनिल विज का दावेदार बनने का कारण
अनिल विज ने अपनी वरिष्ठता और राजनीतिक अनुभव को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश किया। उन्होंने कहा, “मैं हरियाणा में बीजेपी का सबसे वरिष्ठ विधायक हूं। मैंने 6 बार चुनाव लड़ा और हर बार जीत हासिल की। अब सातवीं बार भी मैं चुनाव लड़ रहा हूं। मैंने कभी भी अपनी पार्टी से कुछ नहीं मांगा, लेकिन इस बार प्रदेश की जनता और अंबाला छावनी के लोगों की मांग पर मैं सीएम पद का दावा कर रहा हूं। अगर मुझे यह पद मिलता है, तो मैं हरियाणा की तकदीर और तस्वीर दोनों को बदल दूंगा।”
अनिल विज की राजनीतिक पृष्ठभूमि
अनिल विज हरियाणा की राजनीति में एक प्रमुख नाम हैं। उन्होंने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रियता दिखानी शुरू की और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हुए। 1970 में ABVP के महासचिव के रूप में उनकी भूमिका रही। 1996 में उन्होंने अंबाला कैंट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और लगातार सफलता प्राप्त की।
2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत हासिल की। इन वर्षों के दौरान, उन्होंने मनोहर लाल खट्टर की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी जिम्मेदारी निभाई।
2014 में भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा किया था
अनिल विज ने 2014 में भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा किया था, लेकिन पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को चुना। हाल ही में, 2024 में जब नायब सैनी को मुख्यमंत्री चुना गया, तो अनिल विज को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। इससे उनके मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा स्पष्ट होती है।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। इस चुनावी परिदृश्य में अनिल विज की उम्मीदवारी महत्वपूर्ण हो सकती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस पर क्या निर्णय लेती है।