सांगठनिक ताकत बढ़ाने और हर विधानसभा क्षेत्र से फीडबैक ले रही भाजपा

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा अपनी ताकत को हर स्तर पर चाक-चौबंद करने में लगी है.  प्रदेश में चुनाव जीतने और दूसरी बार सरकार बनाने के लिए भाजपा केंद्रीय स्तर पर रणनीति बना रही है. जिसे प्रदेश में स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं के माध्यम से लागू किया जायेगा.

आने वाले एक-डेढ़ महीने में बीजेपी अपनी सांगठनिक ताकत बढ़ाने और उत्तर प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र से फीडबैक लेने पर ध्यान केंद्रित करेगी. जमीनी कार्य पूरा होने के बाद ही पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य सहित केंद्रीय नेताओं के अगले दौर के दौरे की योजना बनाएगी. तब तक वरिष्ठ नेताओं की सभी बैठकें वर्चुअल होंगी.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 23 अगस्त को चुनाव से पहले बूथ टीम को मजबूत करने के लिए  ‘बूथ विजय अभियान’ का उद्घाटन करेंगे. संगठन के नए कार्यकर्ताओं को बूथ समितियों, शक्ति केंद्रों और मंडल स्तर पर शामिल किया जाएगा.

यूपी के तीन सह-प्रभारी- सत्य कुमार, संजीव चौरसिया और सुनील ओझा-जमीनी स्तर पर जनता-कार्यकर्ता की प्रतिक्रिया एकत्र करने और विधानसभा चुनाव की तैयारी की समीक्षा के लिए विधानसभावार बैठकें आयोजित कर रहे हैं. मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट दिया जाये या नहीं, इन बैठकों में मिली प्रतिक्रिया से तय होगा.

पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी राज्यसभा सांसदों, एमएलसी और अन्य नेताओं को एक-एक विधानसभा क्षेत्र का प्रभार दिया जाएगा. राज्य के नेता, जिन्हें प्रभारी बनाया जाएगा, चुनाव नहीं लड़ेंगे. यह एक कारण है कि इस प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा है क्योंकि पार्टी कुछ टिकट चाहने वालों को अपनी दावेदारी छोड़कर प्रभारी बनने के लिए मना रही है.

इस कवायद के बाद सितंबर के अंत से पार्टी केंद्रीय नेताओं के दौरे का आयोजन करेगी. पीएम मोदी का दौरा अक्टूबर से शुरू होगा. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि प्रधानमंत्री की जनसभा के लिए क्षेत्र के अनुसार योजना बन रही है.

बीजेपी ने यूपी को छह क्षेत्रों में बांटा है- ब्रज, अवध, गोरखपुर, काशी, पश्चिम और कानपुर. पहले दौर में प्रधानमंत्री की छह बैठकें होंगी. राज्य मंत्रिमंडल में तीन से चार नामों को समायोजित करने के लिए एक छोटा मंत्रिमंडल विस्तार भी किया जा सकता है.


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