साल 1984 के सिख दंगों पर कांग्रेस के प्रवासी भारतीय अध्यक्ष सैम पित्रोदा के विवादित बयान ने पार्टी के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। बीते गुरुवार को बीजेपी ने नानावटी आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यालय से ‘लोगों को मारने’ का आदेश दिया गया था।
बीजेपी ने आरोप लगाया था कि यह भारत के इतिहास की सबसे वीभत्स घटना है, जिसमें सरकार ने अपने ही देश के लोगों को मारने का फरमान जारी किया था।
इस आरोप पर सैम पित्रोदा ने कहा था कि मुझे ऐसा नहीं लगता। यह एक और झूठ है। आप 1984 की बात क्यों कर रहे, अपने पांच साल की बात कीजिए। 1984 में जो हुआ, सो हुआ। आपने क्या किया। इस पर बीजेपी की ओर से कहा गया कि सच सामने आ ही गया।
यह बयान मीडिया में उछलते ही सैम पित्रोदा सफाई लेकर भी हाजिर हो गए। उन्होंने कहा कि बीजेपी मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि 1984 में जो दर्द हमारे सिख भाई-बहनों ने झेला, उसे मैं समझता हूं। लेकिन आज चुनाव के दौर में बीजेपी वह मुद्दा क्यों उछाल रही है। दरअसल, वह अपनी नाकामी छुपाना चाहते हैं।
इस बारे में शुक्रवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से 1984 दंगों पर जो कहा गया, वह निंदनीय है। सैम पित्रोदा का बयान कि ‘जो हुआ, सो हुआ’ कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उस शख्स को अपना गुरु मानेंगे, जो 1984 के नरसंहार को भूल गया।