लखनऊ: 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं, लेकिन बीजेपी ने अपनी तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। पार्टी ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कर एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग तैयार करने की कोशिश की है। रविवार को 70 जिलों के जिला और महानगर अध्यक्षों के नाम घोषित कर दिए गए, जबकि 28 जिलों के लिए अभी इंतजार करना होगा।
सोशल इंजीनियरिंग से चुनावी तैयारी
बीजेपी ने 45 जिलों में नए चेहरे उतारे हैं, जबकि 25 जिलाध्यक्षों को फिर से मौका दिया गया है। खास बात यह है कि पार्टी ने अपने कोर वोट बैंक यानी सवर्णों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी है। ओबीसी के साथ संतुलन बनाने की कोशिश की गई, लेकिन दलित और महिलाओं को अपेक्षित भागीदारी नहीं मिली।
जातीय समीकरण का गणित
बीजेपी ने 70 जिलाध्यक्षों में से 39 पद सवर्णों को दिए हैं। इनमें 20 ब्राह्मण, 10 ठाकुर, 4 वैश्य, 3 कायस्थ और 2 भूमिहार शामिल हैं। वहीं, 25 ओबीसी जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं, जिनमें 5 कुर्मी, 4 मौर्य-कुशवाहा-सैनी, 4 अन्य ओबीसी जातियों से, 2 लोध और बाकी अन्य जातियों से हैं।
दलित समाज से सिर्फ 6 लोगों को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। मुस्लिम समाज को इस बार भी कोई पद नहीं दिया गया।
ब्राह्मण-ठाकुर-वैश्य समीकरण
बीजेपी ने सवर्ण वोटबैंक को साधने के लिए ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी है। 20 ब्राह्मणों को जिले की कमान सौंपी गई है। इनमें गोरखपुर से जनार्दन द्विवेदी, बलिया से संजय मिश्रा, लखनऊ महानगर से आनंद द्विवेदी जैसे नाम शामिल हैं।
ठाकुर समाज से 10 जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं, जिनमें बिजनौर से भूपेंद्र सिंह चौहान, आजमगढ़ से ध्रुव सिंह, कानपुर दक्षिण से शिवराम सिंह प्रमुख नाम हैं।
वैश्य समाज से 4 जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं, जिनमें गाजियाबाद से मयंक गोयल और मेरठ से विवेक रस्तोगी शामिल हैं।
ओबीसी समाज को मिली कितनी हिस्सेदारी?
बीजेपी ने ओबीसी समाज को 25 जिलों की जिम्मेदारी दी है। इसमें 5 कुर्मी, 4 मौर्य-कुशवाहा-सैनी, 4 अन्य ओबीसी जातियों से, 2 लोध, 1 यादव और अन्य पिछड़ी जातियों से जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं।
ओबीसी नेताओं में कानपुर देहात से रेणुका सचान, लखनऊ से विजय मौर्य, बांदा से कल्लू राजपूत जैसे नाम प्रमुख हैं।
दलितों और महिलाओं को कम प्रतिनिधित्व
यूपी में दलितों की आबादी 22% के करीब है, लेकिन बीजेपी ने सिर्फ 6 दलितों को जिलाध्यक्ष बनाया। इनमें 3 पासी, 1 धोबी, 1 कोरी और 1 कठेरिया समाज से हैं। वहीं, महिलाओं को भी केवल 5 जिलों की कमान दी गई, जो कुल हिस्सेदारी का महज 7.14% है।
क्या है बीजेपी की रणनीति?
बीजेपी ने पंचायत चुनाव 2026 और विधानसभा चुनाव 2027 को ध्यान में रखते हुए यह नियुक्तियां की हैं। पार्टी ने अपने कोर वोटबैंक को साधने पर जोर दिया है, जिससे समाजवादी पार्टी को सेंधमारी का मौका न मिले।
दलित और महिलाओं को कम प्रतिनिधित्व मिलने की आलोचना हो रही है, लेकिन पार्टी का कहना है कि अगली सूची में संतुलन बनाया जाएगा। वहीं, मुस्लिम जिलाध्यक्ष न बनाए जाने की रणनीति से साफ है कि बीजेपी हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण पर जोर दे रही है।
2027 के लिए बीजेपी का गणित तैयार
बीजेपी ने जातीय और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की है। पार्टी की रणनीति साफ है—कोर वोट बैंक को बनाए रखना और पिछड़ी जातियों को संतुलित तरीके से जोड़ना। आने वाले दिनों में बाकी 28 जिलाध्यक्षों की घोषणा के साथ यह तस्वीर और साफ होगी कि बीजेपी 2027 की जंग कैसे जीतने की तैयारी कर रही है।