2024 अलविदा लेने वाला है और नए साल के साथ देश में कई बड़े राजनीतिक बदलावों की उम्मीद है। 2024 में जहां लोकसभा चुनाव और सात राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहीं 2025 का साल राजनीतिक दलों के संगठनात्मक चुनावों का होगा। बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दलों को संगठन को नया रूप देने के लिए काम करना होगा। बीजेपी को 2025 में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा, वहीं कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करेगी। ये चुनावी वर्ष राजनीतिक दलों के लिए अपनी आंतरिक स्थिति को मजबूत करने का है।
बीजेपी के लिए नए अध्यक्ष का इंतजार
बीजेपी में 2025 के शुरुआत के साथ एक बड़ा बदलाव होने वाला है। बीजेपी को अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा और इसके लिए सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं, जिनका कार्यकाल खत्म हो चुका है, लेकिन पार्टी ने उन्हें एक्सटेंशन दिया है। अब नड्डा के स्थान पर नया अध्यक्ष चुना जाएगा और इस पर चर्चाएं जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि 15 जनवरी के बाद बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा।
बीजेपी के संगठन में बदलाव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। अध्यक्ष के साथ-साथ पार्टी के संगठन महासचिव का पद भी महत्वपूर्ण है। बीएल संतोष, जो बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव हैं, उनका कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। बीजेपी में राष्ट्रीय संगठन महासचिव का पद बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह पद आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक को दिया जाता है, जो संघ और बीजेपी के बीच समन्वय का काम करता है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद संगठन महासचिव के पद की नियुक्ति भी की जाएगी।
इसके अलावा, कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है। उत्तर प्रदेश में जहां भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल खत्म होने वाला है, वहीं महाराष्ट्र, गुजरात और झारखंड जैसे राज्यों में भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी। इन नियुक्तियों का बीजेपी की आगामी रणनीतियों पर बड़ा असर पड़ने वाला है, और पार्टी को आने वाले चुनावों में मजबूत स्थिति में रखना जरूरी होगा।
कांग्रेस को संगठनात्मक बदलाव की चुनौती
कांग्रेस के लिए 2025 एक महत्वपूर्ण साल होने वाला है। जहां 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुछ उम्मीदें जगाई थीं, वहीं पार्टी को अब अपने संगठन को और मजबूत करने की चुनौती का सामना करना है। पार्टी नेतृत्व ने अपनी कार्यसमिति की बैठक में यह साफ कर दिया है कि 2025 कांग्रेस के लिए संगठन सुधारने का साल होगा।
कांग्रेस ने बेलगावी में बैठक के दौरान तय किया कि 2025 में पार्टी के संगठन में बड़े बदलाव किए जाएंगे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि पार्टी ब्लॉक, मंडल, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक “संगठन सृजन कार्यक्रम” चलाएगी, जिससे पार्टी को मजबूत किया जा सके। इसके अलावा पार्टी ने “जय बापू, जय भीम, जय संविधान” अभियान शुरू करने का भी ऐलान किया है, जो पार्टी की छवि को सुधारने के लिए काम करेगा।
कांग्रेस का यह अभियान 26 जनवरी, 2025 से शुरू होकर 2026 में 26 जनवरी को समाप्त होगा। हालांकि, इस अभियान का आरंभ 27 दिसंबर 2024 में बेलगावी से होना था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के कारण इसे टाल दिया गया। अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस नए साल के पहले महीने में इस अभियान को शुरू करेगी। इसके समापन के लिए पार्टी ने भीमराव अंबेडकर के जन्म स्थान महू, मध्य प्रदेश को चुना है, जो पार्टी के लिए एक बड़ा अवसर होगा।
कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति और उम्मीदें
कांग्रेस के लिए 2025 में संगठनात्मक बदलाव के अलावा कई और राजनीतिक चुनौती भी सामने आ सकती हैं। कांग्रेस के सामने तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार को बचाए रखने की चुनौती होगी। इसके साथ ही पार्टी को दिल्ली में अपना खाता खोलने और बिहार में अपनी पुरानी स्थिति को पुनः हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव के मामले में भी कई सवाल उठ रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए यह चुनौती और भी कठिन है, क्योंकि उनकी अध्यक्षता में पार्टी संगठन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सका है। कई वरिष्ठ नेता यह महसूस कर रहे हैं कि कांग्रेस को अब एक नई दिशा की आवश्यकता है और इसके लिए पार्टी को कुछ कठोर कदम उठाने होंगे। हाल के सालों में कांग्रेस ने कई बार सुधार के वादे किए, लेकिन उनमें से अधिकांश पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए 2025 की राह होगी कठिन
बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 2025 में अपनी आंतरिक संरचना और रणनीतियों को मजबूत करने का समय मिलेगा। जहां बीजेपी को नए अध्यक्ष के रूप में एक नई दिशा मिलेगी, वहीं कांग्रेस को अपने संगठन में बदलाव लाने और पार्टी को फिर से जमीन पर खड़ा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगानी होगी। दोनों ही दलों के लिए यह साल एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, जहां उनकी अंदरूनी राजनीति और संगठनात्मक फैसले भविष्य की राजनीति को आकार देंगे।
अब देखना यह होगा कि इन दोनों दलों में से कौन अपनी रणनीतियों को सही तरीके से अमलीजामा पहनाता है और किसकी संगठनात्मक ताकत 2025 के चुनावों में फायदे के रूप में बदलती है।